-अशोक पाण्डेय
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जगत के नाथ, विश्व मानवता के संरक्षक, वैश्विक शांति और समृद्धि के प्राण भगवान जगन्नाथ ही हैं। वे एकमात्र पूर्ण दारु ब्रह्म हैं, ब्रह्मा दारु हैं। वे श्रीराम भी हैं और श्रीकृष्ण भी। वे नीलमाधव भी हैं और पतित पावन भी। वे भोजन प्रिय भी हैं और परिधान/वस्त्र प्रिय भी। वे यात्रा(उत्सव )प्रियभी हैं और जल प्रिय भी। इसीलिए तो भक्ति अपने दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य के साथ उनकी सेवा में शंख क्षेत्र पुरुषोत्तम धाम में , धर्म कानन में सानंद विराजमान है।
जय हो महाबाहु की !
-अशोक पाण्डेय