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भगवान जगन्नाथ सगुण -निर्गुण और साकार- निराकार भी हैं।

-अशोक पाण्डेय
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श्री जगन्नाथपुरी धाम के श्रीमंदिर(लक्ष्मी मंदिर) में अनादिकाल से चतुर्धा देवविग्रह के रूप में अपने रत्न वेदी पर विराजमान भगवान जगन्नाथ की पूजा आज भी जगन्नाथ भक्त अपनी -अपनी इच्छा से ही करते हैं। तांत्रिक से लेकर जैन भक्त,सौर से लेकर गाणपत्य भक्त, बौद्ध से लेकर सिख तक सभी जगन्नाथ भक्त श्रीमंदिर में रत्न वेदी पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन अपने- अपने इष्ट देव के रूप में ही करते हैं। इसीलिए जगन्नाथ जी सगुण -निर्गुण और साकार-निराकार हैं। अपने गाणपत्य भक्त विनायक भट्ट की इच्छानुसार जगन्नाथ जी अपने जन्मोत्सव पर अर्थात् देवस्नान पूर्णिमा के दिन, आगामी 12 जून को गजानन वेश धारण करेंगे।
जय जगन्नाथ!
जय जगन्नाथ!!
जय जय जगन्नाथ!!!
-अशोक पाण्डेय

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