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महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत का वास्तविक जीवन-दर्शन ‘आर्ट ऑफ गिविंग’ दिवस का 12वां संस्करण पूरी दुनिया में मनाया गया

भुवनेश्वर, 17 मई: आज महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत का वास्तविक जीवन-दर्शनः ‘आर्ट ऑफ गिविंग’ दिवस का 12वां संस्करण पूरी दुनिया में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। साथ ही साथ यह यादगार दिवस उनके पैतृक प्रदेश ओडिशा के 35 शहरों, के साथ-साथ भारत के विभिन्न शहरों और कई अन्तर्राष्ट्रीय स्थानों सहित लगभग 120 देशों में तथा 3500 स्थानों पर भी मनाया गया।प्रोफेसर सामंत के हिन्दी सलाहकार अशोक पाण्डेय के पैतृक गांव बिहार के गोपभरवली,वक्सर में ही यह दिवस बड़े ही आनंदमय तरीके से मनाया गया। 2025 वर्ष का इस का थिम थाः अच्छा पड़ोसीःसच्चा पड़ोसी।इस के आयोजन की खास बात ओड़िशा में यह रही कि यहां पर यह दिवस 300 से अधिक ब्लॉकों और 5,000 से अधिक ग्राम पंचायतें में भी प्रोफेसर सांत के शुभचिंतकों की ओर से मनाया गया।
शांति, एकता,मैत्री,भाईचारा तथा आपसी सद्भाव पर आधारित आर्ट ऑफ गिविंग के संदेश को एक सामाजिक आंदोलन के रुप में जन-जन तक पहुंचाने के लिए सार्वजनिक बैठकें और सामुदायिक समारोह जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। ‘आर्ट ऑफ गिविंग’ पहल की शुरुआत 17 मई, 2013 को प्रसिद्ध शिक्षाविद् , निःस्वार्थ समाजसेवी तथा आदिवासी समुदाय के जननायक प्रोफेसर अच्युत सामंत ने भारतीय समाज में आपसी सहयोग,प्रेंम, शांति, मैत्री,सद्भाव और समानता लाने की भावना से आरंभ किया था। पिछले 11 वर्षों में यह सामाजिक आंदोलन वैश्विक स्तर पर फैल गया। हर साल यह आर्ट ऑफ गिविंग’ दिवस एक अनूठी और समयोचित थीम पर आधारित होता है। इस साल की थीम थी “नेबरगुड” अर्थात् अच्छा पड़ोसीः सच्चा पड़ोसी। पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों को बढ़ावा देना। 2025 में तो यह आर्ट ऑफ गिविंग’ दिवस मानव और मानवता की सेवा का प्रतीक बन गया है। ऐसे में अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हुए ओड़िशा प्रदेश की राजधानी स्थित कीट-कीस-कीम्स के संस्थापक महान् शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने आभार संदेश में कहा कि 17 मई, 2013 को उन्होंने जो बीज आर्ट ऑफ गिविंग’ दिवस का बोया था वह अब एक जन आंदोलन बन चुका है। दुनिया के लोगों ने इसे पूरे दिल से अपनाया है। यह जन-जन में इतना लोकप्रिय हो चुका है कि इसे भारत और ओडिशा के लोग तो एक सामाजिक त्यौहार के रुप में मना रहे हैं। उन्होंने यह उम्मीद की कि यह सामाजिक आंदोलन पूरे विश्व में शांति, मैत्री, सद्भाव, सौहार्द और प्रेम को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।
-अशोक पाण्डेय

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