-अशोक पाण्डेय
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मनुष्य का जीवन उसके मन, बुद्धि और सोच से चलता है। जब मनुष्य (भक्त) का मन , बुद्धि और सोच औसत या सामान्य स्वभाव से नीचे जाने लगता है और उसका कार्य पापियों की तरह स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है तो उसे पतित (पापी) कहते हैं। ऐसे में जब वह व्यक्ति अहंकार त्याग कर भगवान जगन्नाथ की शरण में आ जाता है तब भगवान जगन्नाथ उसके मन, बुद्धि और सोच को सही मार्ग पर लाने के लिए जो कुछ भी करते हैं तो उसे जगन्नाथ भगवान की पतित पावन लीला करते हैं। इस वर्ष 2025 में भगवान जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा आगामी 27 जून को है जिसे पतित पावन यात्रा भी कहा जाता है।
-अशोक पाण्डेय