-अशोक पाण्डेय
—————-
प्रकृति की अनुपम छटा संपन्न सुरम्य वादियों में अवस्थित है ब्रह्मगिरि जहां पर भगवान विष्णु की चार भुजाओं वाली काले प्रस्तर की अद्वितीय मूर्ति है।वहां नित्य पूजा वहां के स्थानीय लोग करते हैं(लगभग दो सौ दक्षिण भारतीय हैं जो वहीं पर बस गये हैं।)और जो भगवान जगन्नाथ की पूजा चतुर्भुज अलारनाथ भगवान के रूप में करते हैं। वे भगवान अलारनाथ को खीर का भोग महाप्रसाद के रूप में निवेदित करते हैं। जब भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं और उनका पन्द्रह दिनों तक आयुर्वेद सम्मत उपचार चलता है तब श्रीमंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है और उस दौरान पुरी धाम आनेवाले समस्त जगन्नाथ भक्तगण उनके दर्शन ब्रह्मगिरि के अलारनाथ भगवान के दर्शन के रूप में करते हैं और वहां भगवान अलारनाथ जी को निवेदित किए जाने वाले खीर भोग को महाप्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
कहते हैं कि कभी ब्रह्मा जी आकर यहां पर तपस्या किए थे।
महाप्रभु चैतन्य भी आकर भगवान अलारनाथजी के दर्शन किए थे। दूसरी महत्ता: यह तपोस्थली सैलानियों का स्वर्ग है।
-अशोक पाण्डेय