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“भगवान जगन्नाथ न स्थाई दुख देते हैं न ही स्थाई सुख।”

-अशोक पाण्डेय

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भगवान जगन्नाथ की कृपा, दया, करुणा, सहयोग और करिश्मा की प्रत्यक्ष कहानी अनेक हैं। विद्यापति जयदेव, चैतन्य, नानक,कबीर, तुलसीदास और खड़ी बोली हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आदि इसके प्रमाण हैं। सच तो यह भी है कि प्रतिदिन हजारों-लाखों भक्तों पर वे कृपा करते हैं लेकिन शाश्वत सत्य यह भी है कि वे अपने भक्तों को न स्थाई दुख देते हैं न स्थाई सुख ही।
-अशोक पाण्डेय

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