-अशोक पाण्डेय
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भगवान जगन्नाथ जी संस्कृति की सात्विक और तात्विक समीक्षा से यह स्पष्ट होता है कि एकतरफ जहां वे मानव सेवा को माधव सेवा के रूप में स्वीकार करते हैं तो दूसरी तरफ वे पंचभूतों की सेवा (क्षिति,जल,पावक,गगन और समीर) को विशेष महत्त्व देते हैं।
मान्यवर, आप आज से ही मानव सेवा के साथ-साथ प्रकृति सेवा भी अवश्य करें!
-अशोक पाण्डेय