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“भगवान जगन्नाथ आजीवन शिशु हैं।”

-अशोक पाण्डेय

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भगवान जगन्नाथ के‌ विषय में‌ अनेक किंवदंतियां हैं, रहस्य हैं और मान्यताएं हैं। जैसे : दारु विग्रह देव, विग्रह दारू ब्रह्मा, अपूर्ण शरीर वाले देवता, स्वच्छता, पवित्रता और आध्यात्मिक चेतना के देवता आदि। उनके विषय में एक मान्यता यह भी है कि जब पुरी गुण्डीचा में स्वयं भगवान विश्वकर्मा चतुर्धा देवविग्रह का निर्माण कर रहे थे तो‌ अवंती नरेश इन्द्रद्युम्न ने बंद कमरे को खोलने का आदेश दिया जबकि देवमूर्तियां अर्द्ध निर्मित ही थीं। और वे देखने में शिशु ही लग रही थीं। उनके आदेशानुसार वे ही शिशु चतुर्धा देवविग्रह पुरी धाम के जगन्नाथ मंदिर के रत्न वेदी पर आज भी विराजमान हैं जिनकी नित्य पूजा भगवान जगन्नाथ के शिशु रूप में ही होती है। वे ही शिशु चतुर्धा विग्रह रूप भगवान जगन्नाथ प्रातः स्मरणीय हैं। दर्शनीय हैं। वंदनीय हैं और अनुकरणीय जगदीश हैं।
-अशोक पाण्डेय

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