-अशोक पाण्डेय
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अनादिकाल से भगवान जगन्नाथ के दर्शन, पूजा -अर्चना और स्मरण किया जाता रहा है। मान्यवर,आप तो जानते ही हैं कि जीव माया के वश में आजीवन रहता है। माया के चलते भक्त भगवान जगन्नाथ जी की दर्शन और पूजा ठीक से नहीं कर पाता है। उसको “मैं” और “मेरा” और “तुम” और “तुम्हारा” माया ऐसे घेर ली है कि उससे वह मुक्त नहीं हो पाता है। इसीलिए भगवान जगन्नाथ उसे अहंकाररहित बनाकर ही दर्शन देते हैं।
-अशोक पाण्डेय