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“जीवन जीने की कला “

जिस प्रकार जीवन का दर्शन “देने की कला” है ठीक उसी प्रकार व्यक्तिगत जीवन जीना भी एक कला है.
एक परिवार में रहनेवाले एक घर के मालिक को चाहिए कि वह घर के सभी सदस्यों के सुख-शांति का ख्याल रखे.
जो मालिक सिर्फ अपने सुख के लिए मालिक बना हो वह यह सोच ले कि वह अपने परिवार का विनाश कर रहा है.
उसी प्रकार एक घर के सभी सदस्यों को अपने घर के मालिक की चिंता करनी चाहिए.

जय जय जगन्नाथ!

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