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“अनुचिंतन “

विषय : “वक्त/समय”
मान्यवर, सतयुग से समय स्वयं कहता आ रहा है :”मैं समय हूं. ”
समय के प्रवाह अर्थात् वर्तमान भी हमेशा से कहते आ रहा है कि वर्तमान में जीना ही बुद्धिमानी है.आप उसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं.
अगर आप सच्चे जननायक बनना चाहते हैं तो नि:स्वार्थ जनसेवा करें!
अपने धनबल, जनबल, यौवनबल और ऐश्वर्यबल का त्याग करें!
अच्छे विचार, अच्छे सुझाव तथा अच्छे आचरण को अपनाएं!
मान्यवर, जितने भी जननायक हुए हैं उनका व्यक्तिगत जीवन उपर्युक्त मेरी ही बात की पुष्टि करते हैं.
आजका आपका दिन नि:स्वार्थ जनसेवामय हो!
-अशोक पाण्डेय

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