भुवनेश्वरः25 अक्टूबरःअशोक पाण्डेयः
राजधानी भुवनेश्वर में पिछले लगभग चार दशकों से मनाये जानेवाले चार दिवसीय छठ महापर्व का पहला दिवस आज था जिसमें भुवनेश्वर की सभी छठव्रतियों ने सुबह में सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र स्नान किया(नहाय) अपने-अपने चौके-चूल्हों की साफ-सफाई की। उस चौके-चूल्हे पर नया अरवा चावल का भात पकाया,लौकी की सब्जी तैयार की तथा चने की दाल सिर्फ सिंघाड़ा नमक डालकर तैयार कीं और प्रसाद के रुप में भोजन (खाय) किया।मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय टंकपानी रोड,सत्यनगर,सीआरपीएफ समूह केन्द्र भुवनेश्वर,यूनिट-4 पोस्टल कॉलनी,चिंतामणिश्वर एरिया,गजपतिनगर, यूनिट-4 पेट्रौल पम्प यरिया तथा वीएसएस नगर आदि मोहल्लों में छठव्रतियों ने आज सात्विकता के साथ नहाय-खाय किया। गौरतलब है कि यह नहाय-खाय चार दिवसीय छठ महापर्व के संकल्प का दिवस माना जाता है। पिछले लगभग 25 वर्षों से भुवनेश्वर में बिस्वास नामक पंजीकृत संगठन के सौजन्य से मंतेश्वर बालीयात्रा कुआखाई नदी तट पर तथा कुआखाई नदीतट पर डुबते हुए सूर्यदेव तथा अंतिम दिन उगते हुए सूर्यदेव को सामूहिक अर्घ्यदेते हैं। पिठले लगभग 25 वर्षों से भुवनेश्वर में छठव्रत करनेवाली श्रीमती मोती कांती देवी तथा श्रीमती रींकु देवी ने बताया कि वे पूरी सात्विकता, आस्था और विश्वास के साथ छठव्रत करतीं हैं।नहाय-खाय बाद अगले दिन खरना के दिन के बाद वे लगातार 48 घण्टे निराजल रहकर पहले दिन स्थानीय मंचेश्वर बालीयात्रा मैदान के समीप पवित्र कुआखाई नदी तट पर जाकर पहले दिन शाम में डुबते हुए सूर्यदेव को पहला अर्घ्य देंगी(27 अक्टूबर को) तथा अगले दिन 28 अक्टूबर को भोर में जाकर उसी छठघाट पर उगते हुए सूरजदेव तथा तथा छठ परमेश्वरी को आखिरी अर्घ्य देंगीं।मोतीकांती देवी ने यह भी बताया कि यह महापर्व वे अपने संयुक्त परिवार की समस्त मंगलकामनाओं के लिए ही करतीं हैं।
अशोक पाण्डेय
भुवनेश्वर में नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व आरंभ









