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‘आचार’ को हमारी श्रुतियां अच्छे व्यवहार को मानती हैं जिसकी शुरुआत सबसे पहले अपने आपसे ही होती हैं।
श्रुतियों के अनुसार अच्छा व्यवहार वह है जिससे सबसे पहले स्व का भला होता है और उसके बाद स्व के परिवार,समाज और राष्ट्र का भला होता है।
और जिसका व्यावहारिक जीवन जब सभी के लिए अनुकरणीय बन जाता है तब वही विशेष व्यवहार आचरण बन जाता है।
श्रीमद् भागवत गीता में शांतिदूत श्रीकृष्ण ने दुर्योधन और अर्जुन दोनों को सबसे पहले अच्छे व्यवहार और आचरण का ही संदेश दिया है।
आपका आजका दिन सहृदयता का दिन सिद्ध हो!
इसी मंगल कामना के साथ –
अशोक पाण्डेय









