कोरोना महामारी के एहितयात को ध्यान में रखकर 19मार्च को भुवनेश्वर आईआरसी विलेज,एन3-92 में स्वर्गीय अनादिचरण सामंत का पुण्य श्राद्ध दिवस बडे ही सामान्य तरीके से मनाया गया। गौरतलब है कि स्वर्गीय अनादिचरण सामंत कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत के पिताजी थे जिनका जन्म ओडिशा प्रदेश के कटक जिले के सुदूर तटवर्तीय कलराबंक गांव में हुआ था और जब प्रोफेसर अच्युत सामंत मात्र लगभग 04साल के थे तभी उनका असामयिक निधन एक रेलदुर्घटना में 19मार्च,1969 को हो गया था। स्वर्गीय अनादिचरण सामंत एक बडे ही नेक,चरित्रवान तथा धर्मपरायण व्यक्ति थे। अपने पिताजी के श्राद्धदिवस पर प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने हाथों से अपने पिताजी की पसंद का भोजन पकाये और अपने किराये के मकान की उत्तर दिशा सनातनी पूजा-पाठकर कौवों को खिलाए। ब्राह्मणों को सादर आमंत्रितकर उन्हें भोजन कराया तथा उन्हें यथोचित दान-दक्षिणा देकर विदा किया। अपनी प्रतिक्रिया में प्रोफेसर अच्युत सामंत ने बताया कि उनके पिताजी भी भगवान जगन्नाथजी और हनुमानजी की नित्य पूजा करते थे। ब्राह्मण,गाय और जरुरतमंतों की हरप्रकार से सेवा करते थे। वे आजीवन एक अच्छे और नेक इंसान के रुप में अपनी सुंदर छवि बनाकर रहे ठीक उसी प्रकार प्रोफेसर अच्युत सामंत भी अपना जीवन एक सरल,नेक,निःस्वार्थी तथा परोपकारी रुप में आजीवन अविवाहित रहकर व्यतीत कर रहे हैं। इसीलिए तो 56वर्षीय प्रोफेसर अच्युत सामंत एक महान शिक्षाविद के रुप में तथा निःस्वार्थभाव के सच्चे लोकसेवक के रुप प्रतिष्ठित हो चुके हैं। एक सुयोग्य पिता की एक सुयोग्य संतान के रुप में पूरी दुनिया उनको सलाम कर रही है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति की बात नहीं होगी कि प्रोफेसर अच्युत सामंत अपने सरल,मृदुल,पारदर्शी तथा समदर्शी व्यक्तित्व के चलते सभी के आदर्श बने हुए हैं। वे निःस्वार्थभाव से मानवसेवा और ईश्वर सेवा में अपने आपको लगाये हुए हैं। अशोक पाण्डेय
स्वर्गीय अनादिचरण सामंत का भुवनेश्वर में मनाया गया पुण्य श्राद्ध दिवस
