“बिहार दिवस की अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएं”-प्रोफेसर अच्युत सामंत,प्राणप्रतिष्ठाता –कीट-कीस तथा कंधमाल लोकसभा सासंद
साभार
चाणक्य की नीति हूँ , आर्यभट्ट का आविष्कार हूँ मैं।
महावीर की तपस्या हूँ , बुद्ध का अवतार हूँ मैं।
जी, हाँ! बिहार हूँ मैं।।
सीता की भूमि हूँ , विद्यापति का संसार हूँ मैं।
जनक की नगरी हूँ, माँ गंगा का श्रृंगार हूँ मैं।
जी, हाँ! बिहार हूँ मैं।।
चंद्रगुप्त का साहस हूँ , अशोक की तलवार हूँ मैं।
बिंदुसार का शासन हूँ , मगध का आकार हूँ मैं।
जी, हाँ! बिहार हूँ मैं।।
दिनकर की कविता हूँ, रेणु का सार हूँ मैं।
नालंदा का ज्ञान हूँ, पर्वत मन्धार हूँ मैं।
जी, हाँ! बिहार हूँ मैं।
वाल्मीकि की रामायण हूँ, मिथिला का संस्कार हूँ मैं ।
पाणिनी का व्याकरण हूँ , ज्ञान का भण्डार हूँ मैं।
जी, हाँ! बिहार हूँ मैं।
भारतरत्न राजेन्द्र बाबू का सपना हूँ, भिखारी ठाकुर की पहचान हूँ मैं।
भोजपुर की मान हूं , कुंवर सिंह की शान हूँ मैं।
जी, हाँ! बिहार हूँ मैं।।
दूसरी पेशकश
जिन्दगी फाउण्डेशन की ओर से
ओडिशा में निःस्वार्थ जनसेवा का वास्तविक पहचान बनकर अनाथ,बेसहारों को डाक्टर बनानेवाले श्री अजय बहादुर सिंह
ओडिशा की धरोहर और बिहार की शान हैं
श्री अजय बहादुर सिंह
जब नीट 2020 का रिजल्ट आया तो सफल बच्चे अपनी सफलता की खुशियां मानाने लगे और आगे मेडिकल कॉलेज में पढाई के बारे में सोचने लगे। लेकिन इनमे से 19 बच्चे ऐसे भी थे जो सोच रहे थे की पिछले एक साल में किन कठिनायों में उन्होंने नीट की परीक्षा दी और कैसे उन्होंने अत्यंत गरीबी को मात देकर सफलता हासिल की। ये 19 बच्चे ख़ास थे क्युकी इन्होने ज़िन्दगी फाउंडेशन में पढाई करते हुए सभी कठिनायों को पार किया और नीट क्वालीफाई किया। इन सभी के मार्दर्शक और भाग्य विधाता बने अजय बहादुर सिंह जिन्होने ज़िन्दगी फाउंडेशन की स्थापना की ताकि समाज के सबसे गरीब तपके के छात्रों को सभी सुविधाएं मुफ्त प्रदान कर उनके डॉक्टर बनने के सपने को पूरा कर पाएं।
देवघर में जन्मे अजय बहादुर सिंह, एक प्रख्यात शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। एक संभ्रांत परिवार में जन्मे अजय मेधावी छात्र थे और डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन जब वह मेडिकल की कोचिंग ले रहे थे तब उनके पिता गंभीर रूप से बीमार पड़ गये। पिता के इलाज़ में पारिवारिक सम्पति और जमापूंजी सब चली गयी। अजय को अपनी पढाई बीच में रोकनी पड़ी। घर का खर्च चलाने के लिए देवघर के श्रावणी मेले में उन्होंने चाय और शरबत की दुकान खोली। बाद में घर घर जा कर सोडा मेकर मशीन बेचा। इसी तरह के कई काम करने के बाद उन्होंने फिर बच्चों को ट्यूशन और कोचिंग देना शुरू किया। अंतत उन्हें सफलता मिली और वह शिक्षा के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम बन गए।
लेकिन इतनी सफलता के बाद भी उन्हें कुछ कमी महसूस होती थी। उन्हें लगा, मैं तो डॉक्टर बनना चाहता था लेकिन वह सपना अधूरा रह गया। मेरे जैसे कई और छात्र ऐसे होंगे जो प्रतिभावान तो होंगे लेकिन संसाधन के आभाव में डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर पाते होंगे। ऐसे ही छात्रों के सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने भुबनेश्वर में ज़िन्दगी फाउंडेशन की स्थापना की। यहाँ ऐसे बच्चों को, जो समाज के बिलकुल गरीब तपके से आते हैं, उन्हें मेडिकल कोचिंग, रहने-खाने, स्टडी मटेरिल की सुविधा बिलकुल मुफ्त में दी जाती है। पीछे तीन सालों में यहाँ पढने वाले कई बच्चों ने नीट की परीक्षा क्वालीफाई की और अब प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में पढाई कर रहे हैं। यह ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता दिहाड़ी मज़दूरी, इडली-वडा दुकान, सब्जी-फल विक्रेता जैसे काम करते हैं जिससे पुरे परिवार को हर दिन भर पेट खाना भी नहीं मिल पता। लेकिन अजय इन्हे हर हाल में अपने डॉक्टर बनाने के सपने को सच करने की प्रेरणा देते हैं और वह सारी सुविधाएँ मुफ्त प्रदान करते हैं जो इन्हे नीट की तैयारी के लिए चाहिए। अजयजी बताते हैं, ” सभी बच्चों के मेडिकल कोचिंग, स्टडी मेटेरियल और रहने खाने की सुविधाएं आदि ज़िन्दगी फाउंडेशन बिलकुल मुफ्त प्रदान करती है। हम किसी व्यक्ति या संस्था से किसी तरह का डोनेशन नहीं लेते है। हमारे छात्र-छात्राएं अपनी मेहनत और लगन से भगवान जगन्नाथ की कृपा से सफल होते हैं।”
अपनी गुरुदक्षिणा के बारे में अजय मुसकराते हुए बताता हैं- ” मैं कभी अपनी गुरुदक्षिणा नहीं छोड़ता। मैं इन बच्चों से कहता हूँ, पढ़ाते समय मैंने तुम्हारा पॉकेट नहीं देखा, डॉक्टर बनने पर तुम किसी का इलाज करने के पहले उसका पॉकेट मत देखना। समाज के गरीब से गरीब तबके के लोगों का अच्छे से अच्छा इलाज करना। वही मेरी सही गुरुदक्षिण होगी।”धन्य है बिहार,धन्य है बिहार की माटी और धन्य हैं उस माटी की वास्तविक पहचान ओडिशा में निःस्वार्थ ओडिशा के बेसहारों के सच्चे सेवक श्री अजय बहादुर सिंह
बिहार दिवस पर भुवनेश्वर में रहनेवाले तथा ओडिशा के आपके समस्त शुभचिंतकों की ओर से बिहार दिवस पर आपको विशेष भेंट-अशोक पाण्डेय