पहली अप्रैल,2021 को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर समेत पूरे ओडिशा राज्य में ,भारत की राजधानी नई दिल्ली समेत पूरे भारत में तथा विदेशों में भी उत्कल दिवस बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसीलिए तो भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उत्कल दिवस पर ओडिशा के लोगों को बधाई दी है तथा इस अवसर पर समस्त ओडिया जाति को उनकी खुशी तथा अच्छी सेहत की कामना की है। उन्होंने अपने ट्वीट में ओडिशा की अनूठी संस्कृति को नमन करते हुए भारत की प्रगति में ओडिशा के लोगों के अभूतपूर्व योगदानों की सराहना की है। उत्कल दिवस पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, केन्द्रीय मंत्री अमित साह,ओडिशा के महामहिम राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक, केन्द्रीय मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्रीय मंत्री श्री प्रताप षडंगी,कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत के साथ ओडिशा के अनेक मंत्रीगण तथा अनेक विधायकों आदि ने उत्कल दिवस की अपनी-अपनी शुभकामनाएं दी हैं। ओडिशा को एक स्वतंत्र अलग राज्य बनाने के लिए जिन ओडिया जननायकों ने मांग की थी उनमें मधुसूदन दास, फकीर मोहन सेनापति, गोपबन्धु दास, नीलकंठ दास, गंगाधर मेहेर, राधानाथ मेहेर, राधानाथ राय, वासुदेव सुढल देव, कृष्णचन्द्र गजपति आदि को भी उनके अभूतपूर्व योगदानों के लिए आज याद किया गया। ओडिशा को भाषा के आधार पर 1 अप्रैल सन् 1936 को अपनी पहचान मिली। आरंभ में 6 जिला को लेकर उत्कल प्रदेश का गठन हुआ। खनिज संपदाओं से परिपूर्ण ओडिशा पूरे भारत के अनेक उद्योगों को कोयला और लौह अयस्क आदि की आपूर्ति करता है। तीसरी सदी में यहां पर महान सम्राट अशोक का शासन था। ओडिशा पर अन्य राजाओं ने भी समय-समय पर शासन किया। आठवीं सदी में कोसल राज्य को उत्कल राज्य के रूप में जाना जाता था। 16वीं सदी में बंगाल की सल्तनत ने ओडिशा पर अपना अधिकार कर लिया । 18वीं सदी के मध्य में ओडिशा में मराठों का शासन रहा। उसके उपरांत कर्नाटक युद्धों के बाद, यह ब्रिटिशसर के मद्रास प्रेसीडेंसी के शासन में आ गया। भगवान जगन्नाथ की लीलाभूमि है ओडिशा जिनकी विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा लगभग हजार वर्षों से श्री जगन्नाथपुरी धाम में प्रतिवर्ष आषाढ शुक्ल द्वितीया को अनुष्ठित होती है जो पूरी विश्व मानवता को एकताशांति,मैत्री तथा भाईचारे का पावन संदेश देती है। भगवान जगन्नाथ ओडिशा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन के प्राण हैं। ओडिशा राज्य भारत का एक ऐसा प्रदेश है जो भारत के पूर्वी तट बंगोपसागर तट पर बसा है जिसे गोल्डेन सी-बीच कहा जाता है। पुरी धाम एक धर्मकानन है। ओडिशा को कलिंग राज्य के नाम से भी जाना जाता है। ओडिशा की कुल आबादी का लगभग 24 प्रतिशत क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं। यहां पर लगभग 62 जनजातियां हैं जो कोरापुट, फूलबानी, सुंदरगढ़ और मयूरभंज जिलों में निवास करती हैं।ओडिशा के उत्तर में झारखण्ड, उत्तर- पूर्व में पश्चिम बंगाल, दक्षिण में आंध्रप्रदेश तथा पश्चिम में छत्तीसगढ़ राज्यों से घिरा है। ओडिशा मुख्य रूप से चावल का उत्पादन करता है। आज ओडिशा की पखाल-संस्कृति विश्वविख्यात है।आज ओडिशा में कीट-कीस जैसे दो डीम्ड विश्वविद्यालय भी हैं जो पूरे विश्व में ओडिशा की वास्तविक पहचान बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं और जिसके प्राणप्रतिष्ठाता प्रोफेसर अच्युत सामंत हैं। एक तरफ जहां कीट उच्च तकनीकी शिक्षा का पूरे भारत का केन्द्र बन चुका है वहीं कीस भारत का दूसरा शांतिनिकेतन बनकर पूरे विश्व के आकर्षण का केन्द्र है। ओडिशी नृत्य-गायऩ,ओडिशा की स्थापत्य कला,वास्तुकला,मूर्तिकला,संस्कृति और साहित्य आदि ओडिशा को विश्व में निर्विवाद रुप में एक धनी संस्कृतिवाले भारत के राज्य के रुप में प्रतिष्ठित कर चुके हैं। ओडिशा आज मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक के बदौलत भारत का वास्तविक खेल-प्रदेश बन चुका है। ओडिशा के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक पिछले लगभग चार दशकों से ओडिशा की जनता के सच्चे जननायक बनकर, अजातशत्रु के रुप में ओडिशा के साथ-साथ भारत के सबसे लोकप्रिय तथा प्रियदर्शी मुख्यमंत्री के रुप में कार्य कर रहे हैं। आज उत्कल दिवस पर ओडिशा की जनता से उन्होंने यह अपील की कि वैश्विक महामारी कोरोना के दूसरे चरण के प्रकोप से बचने के लिए सभी अपनी नैतिक जिम्मेवारी के तहत मास्क लगाएं,एक-दूसरे के बीच दो गज की दूरी बनाये रखें तथा अपनी बारी आने पर कोरोना का टीका अवश्य लगायें। सभी को उत्कल दिवस की अनेकानेक बधाई।
अशोक पाण्डेय