कहते हैं कि कोई किसी को कुछ देता नहीं है बल्कि पानेवाले की किस्मत खुद-व-खुद वहां पर उसे ला ही देती है जहां से उसको सबकुछ अपने आप मिल जाता है। खोर्द्धा जिले के हरिकुंडाबराडी गांव की बेसहारा रनजीता बिस्वाल को कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कोधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत का एकमात्र सहारा मिल ही गया। गौरतलब है कि स्वर्गीय अमिय बिस्वाल तथा उनकी पत्नी कुमारी बिस्वाल का असामयिक निधन हो चुका है। अपने माता-पिता को खोकर रनजीता बिस्वाल बिलकुल बेसहारा हो चुकी थी। पहले उसकी मां का निधन हुआ ठीक उसी साल उसके पिताजी भी अचानक चल बसे। बेटे के लालच में स्वर्गीय अमिय बिस्वाल तथा उनकी पत्नी कुमारी बिस्वाल की चार बेटियां पैदा हुईं । घोर आर्थिक संकटों में किसी प्रकार से रनजीता की चारों बहनों की शादी भी हो गई है। उच्च शिक्षा प्राप्ति की चाह रखनेवाली रनजीता बिस्वाल किसी माल में काम करके नवीं कक्षा तक पढी लेकिन जब बिलकुल बेसहारा हो गई तो प्रोफेसर अच्युत सामंत को याद की। प्रोफेसर अच्युत सामंत ने रनजीता का एकमात्र सहारा बनकर उसको कीस में नौकरी के लिए तत्काल नियुक्तिपत्र प्रदानकर अपनी उदारता का परिचय दे दिये हैं। सच तो यह भी है कि 56वर्षीय प्रोफेसर अच्युत सामंत की दानवीरता की हजारों ऐसी कहानियां हैं जिससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
अशोक पाण्डेय