
श्रीराम नवमी के दिन, चैत्र शुक्ल नवमी,21अप्रैल,बुधवार के दिन तडके कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत श्री जगन्नाथपुरी के रास्ते में पडनेवाले भुवनेश्वर से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सिरुली महावीर के दर्शन किये। भुवनेश्वर वापस लौटकर 108 हनुमान मंदिर.पटिया वाणीश्रेत्र श्री जगन्नाथ मंदिर तथा अविभाजित कटक जिले के अपने स्मार्ट विलेज कलराबंक जाकर अपने द्वारा निर्मित श्रीरामदरबार में “भए प्रगट कृपाला श्रीराम के पावन दर्शन किये तथा अनेक जरुरतमंदों की सहायता की। एक अनौपचारिक बातचीत में प्रोफेसर सामंत ने बताया कि ब्राह्मण, गौ, देवता और संतों के लिए ही मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम आज के दिन अवतार लिये,प्रगट हुए।अपनी मां कौसिल्याजी के गोद में प्रगट हुए। सभी के मन को हरने वाले श्रीराम के अद्भुत रूप के दर्शनकर मां हर्षित हुई । श्रीराम का अलौकिक बालक-शरीर, नेत्रों को आनंद देने वाला, मेघ के समान श्यामलशरीर था, उनकी चारों भुजाओं में आयुध थे, तन पर दिव्य आभूषण थे तथा गले में वन के फूलों की माला सुशोभित थी, उनके नेत्र बड़े-बड़े थे । अपने दोनों हाथ जोड़कर माता कहने लगीं – हे अनंत ! मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करूँ । वेद और पुराण तुमको माया, गुण और ज्ञान से परे और परिमाण रहित बतलाते हैं । श्रुतियाँ और सज्जन दया और सुखका समुद्र बताते हैं। तुमको सब गुणों का धाम कहकर तुम्हारा गान करते हैं, भक्तों पर प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान श्रीराम तुम मेरे कल्याण के लिए आज प्रकट हुए हो। वेद कहते हैं कि तुम्हारे प्रत्येक रोमरोम में माया के रचे हुए अनेक ब्रह्माण्डोंके समूह भरे पडे हैं । तुम मेरे गर्भ में प्रगट हुए हो। माता को ज्ञान हुआ, तब प्रभु मुसकराये । वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं। अतः उन्होंने पूर्व जन्म की सुन्दर कथा सुनाकर अपनी माता को समझाये, जिससेकि उन्हें पुत्र का वात्सल्य प्रेम प्राप्त हो सके। देखते ही देखते माता की बुद्धि बदल गई और त्तत्काल बोली- हे पुत्र! यह रूप छोड़कर प्रिय बाललीला करो जिससेकि मुझे वह परम सुख प्राप्त हो। भुवनेश्वर अपने नयापली निवासस्थल पर पहुंचकर अपने हाऊस मैनेजर उमा दास के जन्मदिन का केक काटे तथा उनको यथोचित उपहार प्रदानकर उनके सेवाभाव तथा कर्तव्यबोध के लिए प्रोत्साहित किया।
अशोक पाण्डेय









