भुवनेश्वरः20जुलाईःअशोक पाण्डेय
ओडिशा में पिपली के समीप लगभग 1400 साल पुराने शिवमंदिर का पता इण्डियन ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हेरीटेज, इनटैक ने लगाया है। यह जानकारी 20जुलाई को एक प्रेसवार्ता के माध्यम से इनटैक टीम ने दी है। इनटैक टीम के चार सदस्यः प्रोजेक्ट संयोजक श्री अनिल धीर,अनुसंधान सहायक श्री दीपक कुमार नायक,श्री शुभाशीष दाश और श्री सुमन स्वाईं ने उस शिव मंदिर की खोज की। उसका ड्क्यूमेंटेशन किया। पुरी जाने के रास्ते में पिपली के समीप 6ठी-7वीं सदी का यह सबसे पुराना शिव मंदिर है जो गुप्त काल के बाद का 6ठी-7वीं सदी का सबसे पुराना मंदिर बताया जाता है जो करीब-करीब विलुप्त हो चुकी रत्नचिरा नदी तट पर निर्मित शिव मंदिर है। झाडियों के मध्य छिपे होने के कारण इसकी जानकारी लोगों को नहीं थी। यह शिवमंदिर पिपली तहसील के वीरापुरुषोत्तम में स्थापित है । इनटैक टीम के श्री दीपक नायक के अनुसार मंदिर पुराने चौकोर पत्थरों से निर्मित मंदिर है। वहीं प्राची घाटी तथा जगन्नाथ सडक पर शोध करनेवाले श्री अनिल धीर ने बताया कि जिस प्रकार से इस मंदिर का सुंदर निर्माण हुआ है उससे यह पता चलता है कि यह मंदिर महेन्द्र घाटी के मंदिरों की तरह ही निर्मित है। सच कहा जाय तो आज यह शिव मंदिर करीब-करीब ध्वस्त हो चुका है। मंदिर के गर्भगृह के भगवान शिव से लेकर सभी पार्श्व देवी-देवता प्रायः विलुप्त हो चुके हैं। ओडिशा राज्य पूरातत्व विभाग तथा भारतीय पूरातत्व विभाग को इस शिव मंदिर को अस्तित्व में तत्काल लाने के लिए विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है नहीं तो ओडिशा के लगभग 1400साल पुराने इस शिव मंदिर का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
अशोक पाण्डेय