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“ कोरोना काल में प्रोफेसर अच्युत सामंत का जीवन-दर्शनः आर्ट आफ ऐप्रीसियेशन बना प्रेरणा का आधार “

प्रस्तुति -अशोक पाण्डेय,राष्ट्रपति पुरस्कारप्राप्त
भुवनेश्वर स्थित कीट-कीस दो डीम्ड विश्वविद्यालयों के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत का जीवन-दर्शनःआर्ट आफ ऐप्रीसियेशन मार्च,2020 से आरंभ हुआ। एक तरफ जहां उनके वास्तविक जीवन-दर्शनः आर्ट आफ गिविंग को पूरा विश्व अपना चुका है। 17मई,2013 को आरंभ उनका जीवन-दर्शन आर्ट आफ गिविंग आज अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट आफ गिविंग का दर्जा प्राप्त कर चुका है जिसे विश्व के लगभग 120 देशों के युवाओं ने स्वेच्छापूर्वक अपना लिया है। यही कारण है कि प्रोफेसर अच्युत सामंत आलोकपुरुष बनकर पूरे विश्व के युवाओं के रोलमोडेल बन चुके हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के दोनों संक्रमणकाल में मार्च,2020 से लेकर मार्च,2021 तक पिछले लगभग डेढ सालों से प्रोफेसर अच्युत सामंत कोरोना संक्रमण काल के वास्तविक,यथार्थ तथा वास्तविक जीवित मसीहा बन चुके हैं।इस दौरान उन्होंने ओडिशा में चार कोविड-19 अस्पताल खोले । उन सभी कोविड-19 अस्पतालों में अपने द्वारा स्थापित कीम्स मेडिकल कालेज से दक्ष,अनुभवी तथा कोरोना मरीज सेवापरायण डाक्टर,नर्स तथा पारामेडिकल स्टाफ तैनात किये। समस्त मेडिकल संसाधन उपलब्ध कराये। कोरोना योद्धाओं,सेवाकर्मियों,सफाईकर्मियों तथा सुरक्षाकर्मियों की पूर्ण सहायता सहानुभूति के साथ प्रदान की। कोरोना मरीजों के साथ-साथ ओडिशा के लाखों जरुरतमंदों को पका हुआ लंच-डीनर अपनी ओर से फ्री उपलब्ध कराई। साथ-साथ सूखा भोजन आदि भी फ्री उपलब्ध कराया। एक संवेदनशील समाजसेवी के रुप में उन्होंने अपने चारों कोविड-19 अस्पतालों के सभी कोरोना संक्रमित मरीजों,उनके डाक्टरों,नर्सों तथा पारामेडिकल स्टाफों से एक-एक कर उनका हालचाल जाना और पूरी सहानुभूति के साथ उनको तत्काल सभी प्रकार की सेवाएं आदि अपनी ओर से निःशुल्क उपलब्ध कराई। उसी दौरान प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने जीवन-दर्शनःआर्ट आफ ऐप्रीसियेशन को पूर्णतः विकसित किया। कोरोना संक्रमण से मृत सैकडों परिवारों को उन्होंने आर्थिक सहायता दी। कोरोना संक्रमित दिवंगत व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को कीट-कीस-कीम्स में नौकरी दी। सबसे अच्छा उस दौरान यह रहा कि प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने व्लाग के माध्यम से पेट्रैल-डीजल की बढती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए व्यक्ति विशेष के रुप में साइकिल का उनके जीवन में क्या महत्त्व रहा उसको सोसलमीडिया के माध्यम से लोकप्रिय बनाया। सफाई-सुरक्षाकर्मी,डेली कमाकर रोजी-रोटी कमानेवालों तथा समाज के विकास से वंचित लोगों की हुनर की तारीफ कर उनको प्रोत्साहित किया।कोरोनाकाल में छोटे-छोटे बच्चों,युवाओं और लोगों की असाधारण हुनरों को विशेष रुप से प्रोत्साहित किया। शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार,मनोरंजन तथा स्वरोजगार आदि से जुडे लोगों की विलक्ष्ण प्रतिभा को भी प्रोत्साहित किया। अपने जीवन-दर्शनःआर्ट आफ ऐप्रीसियेशन को प्रोफेसर अच्युत सामंत ने सही दिशा प्रदान की। एक अनौपचारिक बातचीत में प्रोफेसर अच्युत सामंत ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति में अच्छे-बुरे दोनों गुण होते हैं लेकिन प्रोफेसर अच्युत सामंत अपने सम्पर्क में आनेवालों की केवल अच्छाइयों को ही देखकर उसको प्रोत्साहित करते हैं। गौरतलब है कि प्रोफेसर अच्युत सामंत जब मात्र चार साल के थे तभी उनके पिताजी का एक रेलदुर्घटना में असामयिक निधन हो गया । उनकी अनाथ-बेसहारा विधवा मां उनके बुरे दिनों का सच्चा गुरु बनकर उनको दीन-दुखियों की सेवा का दिव्य बाल-संस्कार दिया। आर्ट आफ गिविंग और आर्ट आफ ऐप्रीसियेशन का गुरुमंत्र दिया जिसे वे आज अपनाकर दीन-दुखियों,आदिवासी अनाथ बच्चों की निःस्वार्थ सेवा में ही अपने विदेह जीवन को लगाये हुए हैं। होनहार वीरवान के होत चिकनो पात।–वाली बात प्रोफेसर अच्युत सामंत के जीवन के साथ अक्षरशः सत्य सिद्ध हो चुकी है। ऐसे में वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमणकाल में उनका जीवन-दर्शनः दर्शनःआर्ट आफ ऐप्रीसियेशन हरप्रकार से प्रेरणा का आधार बन चुका है।
प्रस्तुति -अशोक पाण्डेय,राष्ट्रपति पुरस्कारप्राप्त

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