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राष्ट्रीय स्वयंसेवक सर संघचालक प्रमुख श्री मोहन भागवत ने लिया जगतगुरु शंकराचार्य पुरी का दिव्य आशीष

भुवनेश्वरः27अगस्तःअशोक पाण्डेयः
गत 25 अगस्त से अपने ओडिशा दौरे पर भुवनेश्वर पधारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक सर संघचालक प्रमुख श्री मोहन भागवत 26अगस्त को अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ प्रमुख पदाधिकारियों के साथ पुरी गोवर्द्धन पीठ जाकर ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्द्धन मठ पुरी के 145वें पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वतीजी महाभाग का चरणस्पर्शकर दिव्य दर्शन किये।उनको अपनी ओर से सादर पुष्पगुच्छ भेंट की तथा व्यक्तिगत हित,समाज हित तथा राष्ट्र हित के विषयों पर जगतगुरु के दिव्य विचारों से अवगत हुए। उन्होंने जगतगुरु शंकराचार्य के राजनीति तथा विकास की स्वस्थ परिभाषा संबंधी विचारों का उचित मार्गदर्शन प्राप्त किया तथा विश्व शान्ति के प्रारूप पर सविस्तृत चर्चा की । तदोपरांत कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म भगवान जगन्नाथ के दर्शन किये। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस अवसर पर पूज्यपाद ने श्री मोहन भागवत जी को विश्व कल्याणार्थ समष्टि हित की भावना से परिपूर्ण राजनीति की अद्वितीय परिभाषा देते हुए कहा कि “सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न, सेवापरायण, स्वस्थ एवम सर्वहितप्रद व्यक्ति तथा समाज की संरचना विश्व स्तर पर राजनीति की स्वस्थ परिभाषा उद्घोषित हो।” यह सुनकर श्री मोहन भागवत जी ने कहा कि पूज्य शंकराचार्य जी महाराज से थोड़े में ही बहुत कुछ प्राप्त हो गया। विदित हो कि पूज्य पुरीपीठाधीश्वर शंकराचार्य जी ने घोषणा की है कि आने वाले साढ़े तीन सालों की समय सीमा में भारत हिन्दु राष्ट्र बनेगा । पुरी शंकराचार्य जी का यह उद्घोष पूरे विश्व में चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। पूरी दुनिया अभी गोवर्द्धनमठ पुरीपीठ की तरफ आकर्षित हो चुकी है एवं भव्य भारत के निर्माण में एवं विश्व शांति का संदेश पाने के लिए टकटकी लगाकर देख रही है ,क्योंकि हिंदुओं को आशा की किरण केवल गोवर्द्धनमठ से निकलती दिखाई दे रही है। आदित्य वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द्र झा जी ने भारत को साढ़े तीन वर्ष में हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए आदित्य वाहिनी के प्रकल्प को तीव्रता प्रदान की है और इसी क्रम में नेपाल , भूटान और बांग्लादेश राष्ट्रों की तथा राजस्थान , महाराष्ट्र , केरल , तामिलनाडू , आन्ध्रप्रदेश, उत्तर-पूर्वी भारत के सातों राज्य , उड़िशा , हरियाणा , दिल्ली प्रान्त , उत्तर प्रदेश , बिहार , मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों की संगोष्ठी भी आयोजित हुई जिसमें आगे आदित्य वाहिनी का विस्तार पंचायत और ग्रामीण स्तर तक करना है और मठ -मन्दिरों को संस्कृति और सेवा का केन्द्र बना कर सुसंस्कृत, सुशिक्षित , सुरक्षित , स्वस्थ , सम्पन्न , सेवापरायण , सर्वहितप्रद व्यक्ति तथा समाज की संरचना और प्रथम चरण में नेपाल , भारत और भूटान को हिन्दु राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को लेकर चर्चा हुई । इससे पहले 16 अगस्त को देश के विभिन्न प्रान्तों से आए क्षेत्रीय समाज ने और बंगाल से आए 100 से अधिक प्रतिनिधि मण्डल ने 23 अगस्त को भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए पूज्य शंकराचार्य जी से मार्गदर्शन प्राप्त किया । जगतगुरु ने अपने आनन्दवाहिनी तथा आदित्यवाहिन के नये पदाधिकारियों की भी घोषणा की जिसके तहत श्री प्रेम चन्द्र झा,राष्ट्रीय अध्यक्ष ,आदित्य वाहिनी,श्री मोतीलाल रंगा,राष्ट्रीय महामंत्री,पुरी पीठपरिषद् अश्वनि कुमार मलिक,राष्ट्रीय अध्यक्ष,पुरी पीठपरिषद् मनोनीत हुए।
अशोक पाण्डेय

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