प्रस्तुतिः अशोक पाण्डेय
भुवनेश्वर स्थित दो विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्थानों कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत पिछले लगभग 30 वर्षों से कीस के माध्यम से मिशन अंत्योदय को सफल सर्वोदय बनाने में जुटे हैं। यह बात उन्होंने गत 25सितंबर सितंबर,2021 को मनाये गये स्व.पण्डित दीनदयाल उपाध्यायजी की जयंती के अवसर पर कही।यह बात प्रोफेसर सामंत के व्यक्तिगत आचार-विचार,व्यवहार,रहन-सहन,खान-पान,आचरण तथा उनकी निःस्वार्थ मानवसेवा, समाजसेवा तथा लोकसेवा से भी स्पष्ट होती है। प्रोफेसर सामंत के अनुसार समाज के विकास से वंचित सबसे अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति का विकास करना उनके जीवन का सपना है और वहीं उनके लिए सच्चा सर्वोदय है। अपने मानव-सेवा तथा माधव-सेवा को लेकर वे मानवतावादी दर्शन के सच्चे प्रचारक हैं। प्रोफेसर सामंत स्वयं कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के आरंभिक 25साल अपने भोजन के लिये संघर्ष किया जबकि उसके उपरांत के 25 साल उन्होंने समाज के विकास से वंचित,उपेक्षित,अभावग्रस्त और तिरस्कृत आदिवासी बच्चों को भोजन प्रदान करने मंल व्यतीत कर रहे हैं। उन्हें केजी से पीजी तक निःशुल्क उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने में लगे हैं। उनके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास करने में लगे हैं। यह अभियान जो 1992-93 में कीस के माध्यम से मात्र लगभग 125 आदिवासी बच्चों से उन्होंने अपनी कुल जमा पूंजी मात्र पांच हजार रुपये से आरंभ की वह सतत चलता रहेगा।आज कीस में प्रतिवर्ष लगभग 30 हजार आदिवासी बच्चे केजी से पीजी तक पढते हैं। कीस के माध्यम से अबतक लगभग 60हजार आदिवासी बच्चे स्वावलंबी बन चुके हैं। कीस दुनिया का एकमात्र पूर्णरुपेण आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय है जो मानव तैयार करनेवाल एकमात्र शैक्षिक संस्थान है जिसे आधुनिक तीर्थस्थल कहते है। सच्चे मानव का निर्माण होता है। कीस भारत का दूसरा शांतिनिकेतन हैं जहां पर आदिवासी बच्चे निःशुल्क केजी कक्षा से लेकर पीजी कक्षा तक प्रकृति के सानिध्य में रहकर पढते हैं। कौशल विकास करते हैं। उत्कृष्ट तालीम के माध्यम से स्वावलंबी बनते हैं। शिक्षा,विज्ञान,तकनीकी,खेलकूद में भारत का मान बढाते हैं। कीस पिछले लगभग 30 वर्षों से आदिवासी बच्चों को फ्री समस्त आवासीय सुविधाएं तथा केजी से पीजी तक की शिक्षा तथा तकनीकी व मेडिकल शिक्षा भी निःशुल्क उपलब्ध कराकर अंत्योदय को सर्वोदय में बदल रहा है। 56वर्षीय प्रोफेसर अच्युत सामंत के विदेह जीवन का प्रत्येक दिन जरुरतमंद लोगों के चेहरे पर खुशी लाने,उनको भोजन उपलब्ध कराने तथा लाचार लोगों के आंसू पोंछने में व्यतीत होता है। प्रोफेसर सामंत का कहना है कि वे एक सहृदय तथा नेकदिल सरल व सीधे-साधे इंसान हैं जिनके पास करुणा,दया,सहयोग,परोपकार, सहानुभूति तथा दूसरों के दुख-दर्द और पीडा दूर करने की क्षमता जगत के नाथ श्री श्री जगन्नाथ भगवान तथा श्री पवनपुत्र हनुमान ने दी है। उनकी स्वर्गीया मां नीलिमारानी सामंत ने दी है। बाल-संस्कार से उनको मिली है। वे पिछले लगभग 30 वर्षों से सच्चे अर्थों में मानवता की सेवा करते आ रहे हैं। उनके बाल्यकाल का वह संस्कार मानव-सेवा से लोकाचार बनकर उनके यथार्थ जीवन को मानवतावादी बना दिया है। वे सच्चे अर्थों में मिशन अंत्योदय को कीस के माध्यम से सर्वोदय बनाने में लगे हुए हैं। सच्चे गांधीवादी प्रोफेसर अच्युत सामंत उत्कृष्ट शिक्षा के माध्यम से अंत्योदय की अवधारणा को सर्वोदय में बदलने के लिए कीस के माध्यम से पूरी तरह से वचनवद्ध हैं। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में प्रोफेसर अच्युत सामंत ने कोरोना संक्रमित सैकडों लोगों,बच्चों तथा जरुरतमंद लोगों की मानवता के नाम पर सच्चे मन,तन और धन से सहायता की। उनके जीवन की सबसे बडी बात कोरोना काल की यह रही है कि उस दौरान वे कुल लगभग 100 अनाथ बच्चों को गोद लिये। उनकी परवरिश तथा पढाई-लिखाई का जिम्मा स्वयं उठाया। ओडिशा के श्री जगन्नाथपुरी के समीप के एक गांव का एक व्यक्ति लक्ष्मीधर महापात्र जिनका हाल ही में निधन हो चुका है,उनकी पत्नी उनसे भी पहले भगवान को प्यारी हो चुकी थी, अब स्व. महापात्र की चार बेटियां अनाथ होकर,बेसहारा होकर जब भूखों मरने लगीं । दाने-दाने को मुंहताज हो गईं तो प्रोफेसर अच्युत सामंत ही उनका एकमात्र सहारा बनकर उनकी मदद किये। अनाथ बच्चियों के घर जाकर उनके साथ सहानुभूति दिखाई। बडी बच्ची स्नातक है जबकि उसकी अन्य तीन बहनें स्कूल में पढ रहीं हैं।प्रोफेसर सामंत ने तत्काल उनकी परवरिश के लिए प्रतिमाह दस हजार रुपये दिया तथा प्रतिमाह देने का वायदा किया। बडी बच्ची को कीट-कीस में नौकरी देने का वायदा किया तथा अन्य तीन बहनों को कीट-कीस में फ्री पढाने का भी भरोसा जताया। प्रोफेसर सामंत के अनुसार उनके विचार और कार्य ही वास्तविक रुप में स्वराज है। प्रोफेसर सामंत के जीवन की सबसे सच्ची बात तो यह है कि अपने बाल्यकाल की जिन गरीबी की दलदल से वे स्वयं निकलकर अनाथों के नाथ बन चुके हैं,बेसहारों के एकमात्र सहारा बन चुके हैं। कीस के माध्यम से पिछले लगभग 30 वर्षों से अंत्योदय को सर्वोदय में परिणित कर रहे हैं ,उनका यह सपना है कि वे ओडिशा में भुवनेश्वर कीस माडेल के कम से कम और 10 कीस की शाखाएं खोलेंगे जिनमें 6 तो करीब-करीब तैयार हैं। साथ ही साथ पूरे भारत में कम से कम 10 कीस की शाखाएं खोलकर अंत्योदय को वे सर्वोदय और स्वराज में अवश्य बदलेंगे जिनमें कीस दिल्ली तो पिछले कई वर्षों से कार्यरत है।भगवान जगन्नाथ प्रोफेसर अच्युत सामंत को सदा स्वस्थ रखें। जय जगन्नाथ।
अशोक पाण्डेय
“ कीस के माध्यम से पिछले लगभग 30 सालों से मिशन अंत्योदय को सफल सर्वोदय बनानेवाले संस्थापकः प्रोफेसर अच्युत सामंत “
