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बहुआयामी व्यक्तित्व के धनीः श्री सुभाष चन्द भुराः संस्थापक तथा सीएमडी, उत्कल बिल्डर्स

प्रस्तुतिः अशोक पाण्डेय,राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त
ओडिशा प्रदेश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति,निःस्वार्थ समाजसेवी,साहित्यप्रेमी तथा बहुजन हिताय,बहुजन सुखाय के सिद्धांत का अक्षरशः पालन करनेवाले श्री सुभाष चन्द भुरा बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। 1989 में महाप्रभु जगन्नाथ का दिव्य आशीष प्राप्तकर ये उत्कल बिल्डर्स के संस्थापक बने और अपनी हुनर के बल पर तरक्कीकर उत्कल बिल्डर्स के अध्यक्ष सह प्रबंधनिदेशक बने। गृह-निर्माण जगत के बेताज बादशाह बने। अपने पूज्य गुरुदेव स्वर्गींय गंगादत्त रंगा के विलक्षण व्यक्तित्त्व से प्रभावित होकर तथा तेरापंथ धर्म संघ के पूर्व आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन संदेशःचिंतन और मंथन को अपनाकर गृह निर्माण जगत के वे सिरमौर्य बन गये।श्री भुरा की असाधारण कामयाबी का श्रेय उनके अपने मामाश्री भंवरलालजी वैद्य का रहा। भुवनेश्वर में श्री सुभाष भुरा का पहला प्रोजेक्ट उत्कल एपार्टमेंट रहा। उसके उपरांत हजारों फ्लेट्स उन्होंने बनाये। भुवनेश्वर में पेंतालून मार्केट काम्प्लेक्स, उत्कल रायल, रेजीडेंसी, कनिका ग्लोरिया, उत्कल सिगनेचर, उत्कल कारपेट पार्क, उत्कल हाइट्स, पुरी धाम में हेरीटेज प्रकल्प आदि जैसे अनेक गृहनिर्माण के प्रोजेक्टस उनके पूरे हो चुके हैं। 21मार्च,1962 में राजस्थान के नोखा में जन्मे श्री भुरा की प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान में हुई जबकि उच्च शिक्षा कोलकाता में। इन्होंने सर्वप्रथम खण्ड़ागिरि पर्वत पर स्थित विशाल जैन मन्दिर की बाहरी दीवारों का सैंडस्टोन से निर्माण कराया। MAN OF WORDS के रूप में विख्यात श्री सुभाष चन्द भुरा के सफल जीवन की प्रेरणा उनकी पत्नी श्रीमती अन्जना भारा हैं जिनका साथ उनको 24अप्रैल,1985 को मिला। उनके अग्रज श्री प्रकाश भुरा सदैव उनका उचित मार्गदर्शन करते हैं। पुत्र श्री अनुज भुरा उनकी कंपनी में निदेशक हैं जिनके नाम पर श्री सुभाष भुरा ने भुवनेश्वर के प्रथम हिन्दी सार्वजनिक पुस्तकालय-उत्कल-अनुज हिन्दी पुस्तकालय,29,सत्यनगर है जिसकी स्थापना उन्होंने 2013 में की। सच कहा जाय तो भुरा एक जन्मजात ‘लीडर’ हैं। लीडर गृहनिर्माण की दुनिया का,लीडर समाजसेवा की दुनिया का,लीडर आध्यात्मिक कार्यों का,लीडर बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय की दुनिया का। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणकाल में श्री भुरा ने हजारों कोरोना योद्धाओं तथा जरुरतमंद लोगों को हरप्रकार से सहायता की। श्री सुभाष चन्द भुरा अपनी 84वर्षीय माताजी का जन्मदिन मनाना कभी नहीं भुलते हैं। उस दिन वे नेत्रहीनों को भोजन आदि अपनी ओर से उपलब्ध अवश्य कराते हैं। ओडिशा में समय-समय पर आनेवाली प्राकृतिक आपदाओं के वक्त वे दिल खोलकर राहत सेवाएं अपनी ओर से निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं। साहित्यप्रेमी श्री भुरा का शौक सपरिवार विदेश यात्रा करना है। भूगोल विषय के शौकीन श्री भुरा अबतक फ्रांस, बेल्जियम, हांगकांग, इटली, आस्ट्रिया, संघाई, दुबई, सिंगापुर, हालैण्ड, बीजिंगसमेत अनेक देशों की यात्राएं कर चुके हैं। पिछले लगभग तीन दशकों से क्रेडाई समेत विभिन्न गैरसरकारी संस्थाओं से जुडे श्री सुभाष चन्द भुरा का मानना है कि आज का वक्त सूचना तकनीकी का है। स्वावलंबी बनने का है। ऐसे में, देश की युवा पीढी को कौशल विकास को अपनाकर नौकरी देनेवाला बनना चाहिए।
अशोक पाण्डेय

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