भुवनेश्वरः07फरवरीःअशोक पाण्डेयः
स्थानीय तेरापंथ भवन में 07फरवरी को प्रातः9.00 बजे से 11.00 बजे तक 158वां मर्यादा महोत्सव आयोजित हुआ। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा,तेरापंथी महिला मण्डल तथा तेरापंथ युवक परिषद भुवनेश्वर के सौजन्य से आयोजित मर्यादा महोत्सव में पूरे ओडिशा के अनेक जैन धर्माववलंबियों ने हिस्सा लिया। महातपस्वी युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य जैन मुनि जिनेश कुमारजी ठाणा-3 और उनके संग आगत सभी जैन साधुओं का स्वागत और अभिनन्दन आदि भुवनेश्वर जैन ज्ञानशाला के बच्चों,महिला मण्डल की सदस्यों तथा तेरापंथ युवा परिषद तथा जैन सभा के सदस्यों द्वारा पूरी तरह से मर्यादा के दायरे में रखकर प्रस्तुत किया गया।सर्वप्रथम स्वागत की औपचारिकता अध्यक्ष बच्छराज बेताला ने पूरी की। जैन मुनि जिनेश के समक्ष पूरे ओडिशा से पधारे जैनियों ने अपने-अपने उद्गार मर्यादा की सीमा में रहकर प्रस्तुत किया। जैन मुनि जिनेशजी ने बताया कि जैन धर्म मर्यादा के बहुआयामी रुप को अपनाकर इसे सत्यं,शिवं तथा सुन्दरं बना दिया है। मर्यादा एक अनुशासन है। जीवनशैली है।शाश्वत आध्यात्मिक जीवन मूल्य है। सामाजिक मूल्य है। नैतिक मूल्य है। और जैन संतों,संन्यासियों तथा उसको माननेवालों तथा अपनानेवालों का यथार्थ जीवन है। मर्यादा सभी के सम्यक विकास के लिए मूलमंत्र है।अगर मर्यादा नहीं रहेगी तो कुछ भी नहीं रहेगा। इसलिए आज का दिन न केवल मर्यादा महोत्सव मनाने मात्र का नहीं है अपितु इसे मन,वचन और कर्म से अपनाने का है।
अशोक पाण्डेय
भुवनेश्वर में 158वां मर्यादा महोत्सव आयोजित “ मर्यादाःसत्यं,शिवं और सुन्दरं है।“-जैन मुनि जिनेश
