भुवनेश्वरः09मार्चःअशोक पाण्डेयः
भुवनेश्वर तेरापंथ भवन में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को संबोधित करते हुए जैन मुनि जिनेश कुमार ने कहा कि दुनियां को संवारने, सजाने, व संस्कार देने वाली शक्ति का नाम नारी है नारी ममता का मंदिर है। दिल की दरिया है, विनय का वैभव है, समर्पण की साधना है। त्याग उसका स्वभाव है। प्रदान उसका धर्म है। सहनशीलता उसका व्रत है। जिसके कोई शत्रु नहीं है उसका नाम नारी है। नारी ने कितने लोगों को सन्मार्ग की ओर लाया है। स्वयं कष्ट भोगकर परिवार का लालन पालन किया है। नारी के जितने गौरव गाएं उतने थोड़े है।उन्होंने यह भी कहा कि नारी का उत्कृष्ट रूप मां है, महिला है, ममता हिम्मत लज्जा युक्त शक्ति का नाम महिला है चार दीवारी व बंधन में रहने वाली महिलाएं आज अंतरिक्ष तक पहुंच गई महिलाओं ने हर क्षेत्र में विकास किया है अध्यात्म में भी महिलाएं आगे रहती है महिलाएं अपने सद् संस्कार सद्चरित्र, सद व्यवहार के द्वारा समाजोत्थान के कार्य करें महिलाएं संस्कारी है तो घर परिवार भी संस्कारी होगा । बदलते परिवेश में नारी कुछ सुविधावादी, भौतिकता, विलासिता की ओर बढ रही है वह स्वयं घर, परिवार समाज के लिए अच्छा नहीं है महिलाएं घर की शोभा है, गृहिणी है। नारी सशक्ति करण के लिए शिक्षा, स्वाव लम्बन, संयम सद्संस्कार का होना जरुरी हैं जैन तीर्थकरो व तेरापंथ के आचार्यों ने भी नारी समाजोत्थान के लिए बहुत कार्य किए हैं जो नारी सशक्तिकरण के लिए प्रेरणा हैं। प्रवचन में मुनि कुणाल कुमार ने नारी विषयक गीत व मुनि परमानंद ने विचार भी रखे।
अशोक पाण्डेय