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कटक गीता-ज्ञान मंदिर में श्रद्धेय सुखदेवजी महाराज द्वारा 22मई से श्रीमद्भागवत कथा आरंभ

आयोजित कलश शोभा यात्रा में लगभग 200 महिलाओं ने हिस्सा लिया

भुवनेश्वरः23मईःअशोक पाण्डेयः
कटक गीता-ज्ञान मंदिर में व्यासपीठ से कथाव्यास श्रद्धेय सुखदेवजी महाराज द्वारा 22मई से श्रीमद्भागवत कथा आरंभ हुई।21मई को आयोजित कलश शोभा यात्रा में लगभग 200 महिलाओं और पुरुषों ने हिस्सा लिया। भव्य कलश शोभा यात्रा अच्युत धाम मंदिर डीयर पार्क से आरंभ होकर गीताज्ञान मंदिर पहुंची । कटक के सभी संस्थाओं के पदाधिकारी ने शोभायात्रा में हिस्सा लिया। रामदरबार की भव्य झांकी भी निकाली गई।गौरतलब है कि हमारे सनातन धर्म के अनुसार जब कोई पूजा होती है तब मंगल कलश की स्थापना अनिवार्य है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कलश के मुख में भगवान विष्णु, कण्ठ में भगवान महेश तथा मूल में भगवान ब्रह्मा स्थित हैं। 22 मई,रविवार को श्रीमदभागवत का विधि पूर्वक पूजन करने के पश्चात महाराज जी परम गो भक्त प्रसिद्ध भागवत आचार्य संत महाराज श्री सुखदेव जी महाराज द्वारा अपनी अमृतमयी वाणी से आए हुए सभी भागवतप्रेमी भक्तों को अपनी रसमयी वाणी से कथा का रसपान कराया जिसमें प्रथम दिवस श्रीमद्भागवत कथा महात्म्य को स्पष्ट किया। महाराज जी ने कहा श्रीमद् भागवत पुराण को मुक्ति ग्रन्थ कहा गया है। जब सौभाग्य का उदय होता है तभी श्रीमद् भागवत कथा सुनने को मिलती है।सेवासमिति के सह सचिव विनय खंडेलवाल ने आगत सभी भागवतकथा श्रवण प्रेमियों का स्वागत किया और साथ में महाराज जी को धन्यवाद दिया जो अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर कटक वासियों को कथा का श्रवण करने का समय दिया। सेवासमिति के अध्यक्ष विजय खंडेलवाल ने अपने संबोधन में कहा ब्रह्मांड नायक भगवान श्री कृष्ण की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है तभी श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त होता है साथी स्वर्गीय बिहारी लाल जी बाबा जी जो गीता ज्ञान मंदिर के संस्थापक हैं उनकी प्रेरणा से ही यह सब संभव हो पाया है| उपाध्यक्ष श्री स्वतंत्र अग्रवाल, कोषाध्यक्ष श्री स्वदेश अग्रवाल,सचिव श्रीमती संपत्ति मोड़ा, मंत्री श्रीमती बीना अग्रवाल,शरद अग्रवाल, ज्ञान अग्रवाल, रतन मोदी, ज्योति खंडेलवाल, रितु अग्रवाल,मधु सिंघी, रिद्धि अग्रवाल आदि का इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग रहा।कथा 28मई तक चलेगी जिसमें आयोजन पक्ष की ओर से सभी श्रीमद्भागवत कथा श्रवण प्रेमियों के कथा श्रवण हेतु सादर आगमन हेतु प्रार्थना की गई है।
अशोक पाण्डेय

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