कार्तिक में प्रतिदिन पवित्र नदी स्नान,महोदधि स्नान,श्रीनाराण भगवान व्रत,व्रतकथा श्रवण और दान-पुण्य का अति विशेष महत्त्व है। इस महीने में मनाये जानेवाले प्रमुख पर्व-त्यौहार हैं- ताराभोज,करवा चौथ,रम्भा एकादशी, गोवत्स द्वादशी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, अन्नकूट, भैयादूज,सूर्यषष्ठी अर्थात् छठ, काली पूजा, गोपाष्टमी,आवला नवमी, देवोत्थान एकादशी,तुलसी विवाह,भीष्म पंचक, बैकुण्ठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा।बिहार का सोनपुर कार्तिक मेला पौराणिक काल से गंगा के पवित्र तट पर मनाया जाता है। ओडिशा के श्री जगन्नाथ पुरी धाम के श्रीजगन्नाथ मंदिर में पूरे कार्तिक माह का पालन बुजुर्ग तथा विधवा महिलाएं पूरे विधि-विधान के साथ करतीं हैं।कार्तिक शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु के दस अवतारों में से मत्स्य अवतार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पुरी धाम में कार्तिक माह में प्रत्येक दिन महोदधि स्नानकर श्री जगन्नाथजी के दर्शन का विशेष महत्त्व है। कार्तिक में श्रीमंदिर में महादीपदान का भी अति विशिष्ट महत्त्व है। कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र दिन सिखों के धर्मगुरु गुरुनानकदेवजी का आविर्भाव हुआ था जिसे प्रतिवर्ष गुरुनानक जयंती के रुप में मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान के उपरांत मछलियों को दाना देने की भी सुदीर्घ परम्परा देखने को मिलती है। कार्तिक माह की संक्रांति के दिन श्रीरामचरितमानस के सुन्दर काण्ड का संगीतमय अखण्ड पाठ करना और कराना फलदायी होता है। ब्राह्मण,दरिद्रनारायण सेवा,वृद्धसेवा,विधवासेवा,गोसेवा का भी इस माह में पौराणिक महत्त्व है।अन्न दान और भोजन कराकर उन्हें यथोचित दान-दक्षिणा देकर उन्हें आनंदित करने से हमारे पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं।प्रकृति उपासना का चार दिवसीय आस्था पर्व छठ भी इसी महीने मनाया जाता है। कार्तिक महत्त्व सिर्फ सुनने-सुनाने के लिए ही नहीं अपितु उस माह की दिनचर्या को भी अपनाने की आवश्यकता है।
-अशोक पाण्डेय
