कथाव्यास आचार्य गिरिधर गोपाल शास्त्री जी ने व्यासपीठ से मानस में वर्णित शुभ आचरण करते हुए श्रीराम जैसे गुरुभक्त,माता-पिताभक्त,भरत जैसे भाई तथा हनुमान जैसे भक्त बनने का संदेश दिया
भुवनेश्वरः27जुलाईःअशोक पाण्डेयः
भुवनेश्वर में हरिबोल परिवार के सौजन्य से स्थानीय तेरापंथ भवन में आयोजित 09दिवसीय रामकथा आज वृंदावन से पधारे कथाव्यास आचार्य गिरिधर गोपाल शास्त्री जी के सारगर्भित प्रवचन के साथ संपन्न हो गई।उन्होने मानस में वर्णित शुभ आचरण करते हुए श्रीराम जैसे गुरुभक्त,माता-पिताभक्त,भरत जैसे भाई तथा हनुमान जैसे भक्त बनने का संदेश दिया।आज(27जुलाई) की अंतिम कथाश्रृंखला में वे राम-रावण युद्ध,रावणवध तथा राम के अयोध्या लौटने पर उनके राज्याभिषेक जैसे प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया।उन्होने बताया कि कलियुग में मानस एक ऐसा सद्ग्रंथ है जिसमें रामनाम की महिमा तथा रामनाम संकीर्तन का प्रत्येक भक्त के जीवन में विशेष महत्त्व है। उन्होंने यह भी बताया कि जब भक्त के जीवन में अच्छे दिन आते हैं तभी वह अच्छी बातें अपनाता है। वहीं उन्होंने मानस में वर्णित शस्त्र तथा शास्त्र के महत्त्व को जीवन के अंतिम क्षणों में स्वीकार करने का भी संदेश दिया। आयोजन पक्ष की ओर से सुभाष गुप्ता ने सभी के प्रति सादर आभार जताया जो प्रतिदिन कथा में आकर रामकथा का श्रवण किये। आरती,हवन और पूर्णाहूति के उपरांत सभी ने प्रसादसेवन किया।
अशोक पाण्डेय