नवधाभक्ति तथा श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग पर हुआ प्रवचन
भुवनेश्वरः21सितंबरःअशोक पाण्डेयः
भुवनेश्वर तेरापंथ भवन में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा कीछठी शाम कथाव्यास आचार्य महेश शर्मा ने मुख्य रुप से नवधाभक्ति तथा श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह आदि प्रसंगों का वर्णन किया। व्यासपीठ पर कथाव्यास का स्वागत-वंदन सेठ शिवनारायण परिवार की ओर से किया गया। कथाव्यास ने विशेषकर नवधाभक्ति का वर्णन किया और यह बताया कि श्रवण,कीर्तन,स्मरण,पादसेवन,अर्चन,वंदन,दास्य,सखा तथा आत्मनिवेदन भाव की भक्ति है।साथ ही साथ उन्होंने गोपियों के श्रीकृष्णप्रेम का वर्णन करते हुए यह बताया कि हे उद्धव, मन नाहिं दस-बीस अर्थात् गोपियों का मन एक है जो वे श्रीकृष्ण को दे चुकीं हैं। व्यासजी ने रुक्मिणी-श्रीकृष्ण की झांकी से साथ यह बताया गया कि रुक्मिणी अपना दिल पहले से ही श्रीकृष्ण को दे चुकी थी इसीलिए उसने श्रीकृष्ण को एक प्रेमपत्र लिखती है जिसमें गौरीपूजन की चर्चाकर अपने विवाह हेतु अपने अपहरण की उनसे निवेदन करती है। श्रीकृष्ण मोहिनी रुप में वहां आते हैं और रुक्मिणी का अपहरण करते हैं तथा कालांतर में श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह होता है।रुक्मिणी का भाई रुक्म अपने सैनिकों को साथ रखकर भी कुछ कर नहीं पाता है।व्यासजी ने बताया कि रुक्मिणी-श्रीकृष्ण विवाह वास्तव में एक दिव्य प्रेम का परिणाम था।श्रीमद्भागवत कथा 22सितंबर को विराम लेगी। सात दिवसीय आयोजन में प्रेमचंद,रौशनलाल,घनश्याम,पवन,दिनेश,नरेश,संजीव,राकेश,लक्ष्मी देवी,पार्वती,उषा,भारती,कुसुम,मंजु,उमा,कुसुम तथा कृष्णा आदि का सहयोग पूर्ण सहयोग था।सबसे बडी बात इस आद्यात्मिक आयोजन का यह रहा कि लगातार सात दिनों तक स्थानीय तेरापंथ भवन में पूरी तरह से आध्यात्मिक माहौल रहा जिसका लाभ सैकडों कथाप्रेमियों ने उठाया।
अशोक पाण्डेय