प्रस्तुतिःअशोक पाण्डेय,राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित कीट-कीस-कीम्स में तो 50 प्रतिशत महिला आरक्षण अभिनंदन कानून 2000 से ही अनौपचारिक रुप से लागू है जिसके संस्थापक महान् शिक्षाविद् विदेह संत प्रो अच्युत सामंत हैं। वे वर्तमान में ओडिशा के आदिवासी बाहुल्य कंधमाल लोकसभा संसदीय क्षेत्र के मान्यवर सांसद भी हैं।नारी अभिनंदन तथा सम्मान अगर कोई सीखे तो प्रो अच्युत सामंत से सीखे। 21सितंबर,2023 को भारतीय संसद के दोनों सदनों(लोकसभा तथा राज्यसभा में ) 33 प्रतिशत नारी आरक्षण अभिनंदन विधेयक जब ध्वनिमत से पारित हुआ तो पूरे भारत ने देश के यशस्वी तथा तेजस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को उनके जन्मदिन पर उस ऐतिहासिक विधेयक के पारित होने पर बधाई दी। उसी ऐतिहासिक दिन ओडिशा के माननीय मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक ने भी ओडिशा विधानसभा के नये अध्यक्ष पद के लिए अपनी पार्टी बीजू जनता दल की ओर से पहली बार महिला उम्मीदवार प्रमिला मल्लिक के नाम की घोषणा की जो बीजेडी की ओर से ओडिशा विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए 21 सितंबर,2023 को ही अपना नामांकनपत्र भरा।मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नारी आरक्षण अभिनंदन विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने का स्वागत किया तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी को उनके जन्मदिन पर उनको इसके लिए उनको बधाई दी। गौरतलब है कि प्रो.अच्युत सामंत भी बीजू जनता दल के कंधमाल लोकसभा सांसद हैं जो हमेशा माननीय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के ओडिशा के विकास के लिए तथा ओडिशा के लोगों के विकास के लिए उनके द्वारा किये गये सभी कार्यों की सराहना करते हैं और ओडिशा की राजनीति में उन्हें ही वे अपना सच्चा पथप्रदर्शक मानते हैं।गौरतलब है कि मई,2019 के ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेडी ने अपने दल की ओर से ओडिशा विधानसभा आम चुनाव के लिए 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी थी।यही नहीं,ओडिशा के सभी स्थानीय निकायों के चुनावों में भी यह महिला आरक्षण लागू रहा है।गौरतलब है कि 2012 से ही व्यावहारिक रुप से ओडिशा में नारी सशक्तिकरण तथा विज्ञान जन-जन के लिए के सच्चे प्रचारक महान् शिक्षाविद् प्रो.अच्युत सामंत,संस्थापकःकीट-कीस-कीम्स तथा कंधमाल लोकसभा सांसद माने जा सकते हैं।प्रो.सामंत की सभी शैक्षिक संस्थाओं(कीट-कीस-कीम्स आदि) में आरंभ से ही महिलाओं के लिए आरक्षण लगभग 50 प्रतिशत है।नारी का वास्तविक सम्मान अगर कोई शैक्षिक संस्था देती है तो भारत की एकमात्र शैक्षिक संस्था समूह है जिसके जन्मदाता प्रो सामंत हैं और वह है-कीट-कीस-कीम्स शैक्षिक संस्थान-समूह। कीस में तो महिलाओं के लिए आरक्षण लगभग 60 प्रतिशत है।महिलाओं के सम्मान तथा आरक्षण आदि की प्रेरणा तो प्रो.सामंत को यथार्थ रुप में 2012 से मिली जब लगभग तीन दशक पूर्व यूनेस्को-कलिंग प्राइज हीरक जयंती के उपलक्ष्य में विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाकर लोकप्रिय बनाने की दिशा में 35 वर्षों के अंतराल में ओडिशा में प्रो अच्युत सामंत ने सार्थक प्रयास किया।उनके भगीरथ प्रयासों से दिनांकः3जनवरी,2012 से लेकर 7जनवरी,2012 तक कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर में अखिल भारतीय 99वीं विज्ञान कॉंग्रेस का भव्य और यादगार आयोजन हुआ।आयोजन में दी इण्डियन साइंस कॉंग्रेस संघ,कोलकाता तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एडुकेशन एण्ड रिसर्च,भुवनेश्वर आदि ने भी कीट को सहयोग दिया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में भारत के तात्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में 2012 वर्ष को भारत के लिए विज्ञान का वर्ष बताते हुए विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही। जीवन के सभी क्षेत्रों में विज्ञान की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए उसे कृषि तथा तकनीकी आदि में लागू करने की अपील की थी।नारी सशक्तिकरण के लिए विज्ञान के उपयोग की बात कही थी। 99वीं विज्ञान कॉंग्रेस की अध्यक्षा कर रहीं प्रोफेसर गीता बाली ने भी अपने अध्यक्षीय भाषण में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए उनके लिए विज्ञान तथा तकनीकी में नवाचार को अपनाने की सिफारिश की थी।महान् शिक्षाविद् प्रो.अच्युत सामंत ने उन संदेशों को चुपचाप सुना और उन्हें ओडिशा में सबसे पहले अपनी शैक्षिक संस्थान-समूहों में लागू कर दिया। उन्होंने ओडिशा में विज्ञान को जन-जन तक लोकप्रिय बनाने के लिए एक अभियान चलाया जो पूरे ओडिशा के सभी स्कूलों और कॉलेजों में पूरे सालभर तक चला।अभियान का मुख्य रुप से तथा विशेषकर संदेश था -विज्ञान की उपयोगिता महिलाओं के लिए,नवाचार महिलाओं के लिए,विभिन्न कौशल विकास प्रशिक्षण महिलाओं के लिए। इसके लिए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की समान भागीदारी को भी सुनिश्चित करने का संदेश दिया गया।99वीं विज्ञान कॉंग्रेस के सफल आयोजन के उपरांत प्रो अच्युत सामंत ने ठान लिया कि वे सबसे पहले आत्मनिर्भर बनेंगे। अपनी सत्यनिष्ठा तथा आत्मविश्वास से अपने कीट-कीस और कीम्स को आत्मनिर्भर बनाएंगे और उन्होंने कीट-कीस-कीम्स को आत्मनिर्भर बनाकर यह सिद्ध कर दिया कि जब एक अनाथ बालक असंभव को संभव कर सकता है तो पूरा भारत आत्मनिर्भर क्यों नहीं बन सकता है। उन्होंने कन्याकिरन योजना को लागू किया। भारत समेत विश्व की सभी महिलाओं से यह सविनय अपील है कि अगर यथार्थ रुप में नारी वंदन आरक्षण,महिला सशक्तिकरण अगर देखना हो,आदिवासी सशक्तिकरण अगर देखना हो,शैक्षणिक सफल प्रबंधन अगर देखना हो,खेलो इण्डिया अगर देखना हो,आधुनिक तीर्थस्थल अगर देखना हो,सच्चरित्र और जिम्मेवार भारतीय नागरिक तैयार करने का एकमात्र शैक्षिक संस्थान अगर देखना हो तथा उसके मेंटर प्रो.अच्युत सामंत के साक्षात दर्शन करना हो तो ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर अवश्य आइए।उनकी विश्वविख्यात कीर्ति कीट-कीस-कीम्स को पहले देखिए और उसके उपरांत उनके निर्माता विदेह संत प्रो अच्युत सामंत से मिलिए। यकीन मानिए,आपका मानव-जीवन सार्थक हो जाएगा।
अशोक पाण्डेय
कीट-कीस-कीम्स में तो 50 प्रतिशत महिला आरक्षण अभिनंदन कानून 2000 से ही लागू है
