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भुवनेश्वर में सप्ताह के अंत में दो दिवसीय शटडाउन का दूसरा दिन रविवार पूरी तरह से सफल रहा

25 अप्रैल को भुवनेश्वर में ओडिशा सरकार द्वारा जारी शनिवार और रविवार को पूरी तरह से शट डाउन रखने के आदेश के तहत चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा नजर आए। गौरतलब है कि 24 अप्रैल को शटडाउन के पहले दिन भुनेश्वर में पूरी तरह से कानून व्यवस्था ठीक- ठाक रही । कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बचने के लिए अनावश्यक रूप से लोग अपने -अपने घरों से बाहर नहीं निकले  जबकि सरकार द्वारा सुबह 6:00 बजे से 7:00 बजे तक मॉर्निंग वॉकर और साइकिलिंग करने वालों के लिए 1 घंटे की छूट थी ,फिर भी भुवनेश्वर कलिंग स्टेडियम में  लोग बिल्कुल ही नजर आए ।भुनेश्वर की सड़कों पर बहुत कम साइकिलें नजर आईं। लोग अपने अपने घरों ,अपनी-अपनी डेली लगने वाली दुकानों और अपने -अपने रोजगार के ठेलों के साथ बैठे नजर आए ।कुछ ऐसे भी डेली वेजेज वाले श्रमिक नजर आए जो अपने कंधे पर कुदाल लिए हुए पैदल चले जा रहे थे । ? तो उसने यह जवाब दिया कि शटडाउन बाबू गरीबों के लिए नहीं होता । यह पापी पेट का सवाल है । मैं इंतजार कर रहा हूं कि कोई दाता मुझे काम पर बुलाये। मैं उसका काम करूं और बदले में अपने पेट भरने के लिए दाता से मुझे कुछ मिले। वही शराब की दुकानों पर जहां सुबह 10:00 बजे से लेकर के रात्रि 9:00 बजे तक पूरी चहल-पहल देखी जाती थी । शटडाउन के दोनों दिन उन दुकानों पर केवल ताला ही लटका नजर आया । यह बात अलग है कि सरकारी दबाव के कारण भुनेश्वर जनपद के लोग अपने घरों से बाहर आज नहीं निकले लेकिन यह भी सच है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से बचाव को ध्यान में रखकर लोग अपनी नैतिक जिम्मेदारी के तहत  इस उम्मीद के साथ कि 2 दिनों के बाद उनकी रोजी रोटी के लिए उनके ठेलें चलेंगे और वे अपने साथ-साथ अपने बाल बच्चों का भी पेट भरेंगे। मिली जानकारी के अनुसार भुवनेश्वर जनपद की सभी सड़कों ,चौराहों और पार्कों की स्थिति कमोबेश एक जैसी ही नजर आई। चारों तरफ खामोशी थी।
अशोक पाण्डेय

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