Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

संतों के संत, सत्यनिष्ठः प्रोफेसर अच्युत सामंत

गुरुनानकदेवजी की तरह ही कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत भी बाल्यकाल से ही धर्मपरायण हैं। गुरुनानकदेवजी ने कहा है कि जो अपने आपको ईश्वर की सर्वोच्च इच्छा के अधीन कर देता है वहीं जीवन में विजयी होता है।56वर्षीय प्रोफेसर अच्युत सामंत का सरल,मृदुल तथा आत्मीय स्वभाव तथा जीवन एक विदेह संत का जीवन है। अपनी पोशाक में भले वे इण्डियन दिखते हैं लेकिन अपने स्वभाव,व्यवहार तथा आचरण में प्रोफेसर अच्युत सामंत पूरी तरह से भारतीय सनातनी संत हैं।   औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा के प्रबल समर्थक प्रोफेसर अच्युत को सभी धर्मों के संत-महात्मा उन्हें संतों के संत, सत्यनिष्ठः प्रोफेसर अच्युत सामंत कहकर पुकारते हैं। प्रोफेसर अच्युत सामंत के अनुसार सत्य श्री जगन्नाथ भगवान की दैवी इच्छा है जिसे  वे अपनी इच्छा समझकर चौबीसों घण्टे जनसेवा का काम करता हूं और वहीं उनकी  समझ से सत्य है । महाप्रभु में उनकी अटूट आस्था है,विश्वास है तथा भक्ति है इसीलिए पिछले लगभग 26वर्षों से वे साल के बारहों महीने की पहली तारीख को श्रीजगन्नाथ पुरी धाम अवश्य जाते हैं और महाबाहु के साक्षात दर्शन अवश्य करत हैं।उनके दर्शन मात्र से ही प्रोफेसर सामंत को प्रतिदिन निःस्वार्थ समाजसेवा के कार्यों को करने हेतु उन्हें दिव्य प्रेरणा मिलती है।   प्रोफेसर अच्युत के अनुसार जब वे छोटे बालक थे तो उनके संत जीवन की पहली गुरु उनकी स्वर्गीया मां नीलिमारानी सामंत सदैव उनको भगवान जगन्नाथ के दर्शन की बात कहा करती थी और जब वे बडे तथा समर्थवान हुए तो उनके बाल्यकाल की वह आध्यात्मिक आदत ही आज उनका वास्तविक आध्यात्मिक स्वभाव बन चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी मां कहा करती थी कि जगन्नाथ ने तुमको इसीलिए मानव शरीर दिया है कि तुम उनकी आजीवन सेवा करो। संत-महात्माओं तथा सज्जनों की संगति करो। पूजा-पाठ करो। नवग्रहों की पूजा करो। यज्ञ करो। हनुमान की पूजा करो। सर्वधर्म संगोष्ठी करो। दीन-दुखियों की सेवा करो। कृतज्ञ बनो,कृतघ्न नहीं। और आज जो कुछ भी प्रोफेसर अच्युत सामंत हैं वह भगवान जगन्नाथ तथा अपने जीवन की पहली गुरु उनकी मां के दिव्य आशीर्वाद के बदौलत हूं। श्रीजगन्नाथ पुरी धाम के गोवर्द्धनपीठ के 145वें पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य परमपाद डण्डी स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाभाग ने प्रोफेसर अच्युत सामंत को दर्शन देकर तथा उनके द्वारा स्थापित कीस का अवलोकन कर प्रोफेसर अच्युत सामंतको आज के संतों का संत मानते  हैं। कीस मानवतावादी सम्मान से कीस द्वारा अलंकृत तिब्बतियन बौद्धगुरु परमपाद दलाईलामा भी प्रोफेसर अच्युत सामंत को वास्तविक  आध्यात्मिक संत मानते हैं। संत बाबा रामनारायण दासजी महाराज उन्हें विदेह संत कहकर पुकारते हैं। स्वामी शिवच्चिदानंदजी महाराज प्रोफेसर अच्युत सामंत को  संत जीवन की प्रेरणा बताते हैं।लेकिन  संतों के संत, सत्यनिष्ठः प्रोफेसर अच्युत सामंत का यह मानना है कि जगत के नाथ श्री श्री जगनाथ भगवान तथा सिरुली हनुमानजी की अलौकिक कृपा और आशीष से पूरे मन,वचन और कर्म से उनकी आराधना करते हैं तथा निःस्वार्थभाव से दीन-दुखियों की आजीवन सेवा करते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से समस्त ओडिशावासियों को बचाने में प्रोफेसर अच्युत सामंत अपने आपको जनसेवा तथा लोकसेवा में हमेशा लगाये रखेंगे।

प्रस्तुतिः  अशोक पाण्डेय

    Leave Your Comment

    Your email address will not be published.*

    Forgot Password