-अशोक पाण्डेय ——————– एकबार किसी राज्य में अकाल पड़ा। सभी भूख से मरने लगे। उस राज्य के राजा को कोई
-अशोक पाण्डेय ——————- मैंने अपने 73 वर्ष की आयु में अबतक एक ही साधारण उद्योगपति को देखा जो सफारी पहनता
भुवनेश्वरः17 फरवरीःअशोक पाण्डेय स्थानीय सत्यनगर स्थित उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में गत रविवार की शाम वसंतोत्सव के उपलक्ष्य में काव्यसंध्या
-अशोक पाण्डेय मित्रता मूल मंत्र विचारों का मेल होता है। इसीलिए मित्रता अमीर -गरीब, छोटा- बड़ा कुछ भी नहीं देखती
-अशोक पाण्डेय मनुष्य का जीवन आजीवन सीखने और सीख को अपनाने का एकमात्र केन्द्र है। लेकिन इस सृष्टि की रचना
-अशोक पाण्डेय ——————– एक गरीब था। वह प्रतिदिन भिक्षा मांगकर अपना पेट भरता था। आनेवाले कल के विषय में नहीं
-अशोक पाण्डेय ——————– जैसा कि आपको कल शाम में मैंने यह जानकारी दी कि अपने मन के कहने पर अपना
-अशोक पाण्डेय ——————– एक छोटा बालक जब ईश्वर से प्रार्थना करता है तो कहता है: हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको
-अशोक पाण्डेय —————– सूरदास और तुलसीदास सगुणमार्गी भक्त कवि थे। सूरदास के आराध्य श्रीकृष्ण थे तो तुलसीदास के आराध्य मर्यादा
आवश्यकता है वनांचल के उन बच्चों के लिए जो शिक्षा से वंचित हैं वहां पर स्कूल को पहुंचाया जाय और