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“मानव धर्म कहता है कि सभी की सेवा करें और उसी के लिए विचार व चिंता करें!”

व्याख्या: अशोक पाण्डेय
04 अक्टूबर,24

मुझे आज नवरात्र के अवसर पर उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित अमर महाकाव्य “श्रीरामचरितमानस” पढ़ने का अच्छा मौका मिला।मानस में एक प्रसंग है -“एहि तन कर फल विषय न भाई” जिसे मैंने पढ़ा जिसकी व्याख्या मेरी समझ से यह है कि सनातनी जीवन जीने का उद्देश्य काम भोग करना नहीं है ,इस मोह माया के संसार में भौतिक सुखों का उपभोग करना भी नहीं है बल्कि इस सनातनी जीवन का उपभोग सबको सुख देना है,सभी का भला करना है और उसके लिए ही आजीवन चिंतन और विचार करना है।
जय मां दुर्गा देवी ब्रह्मचारिणी!
-अशोक पाण्डेय

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