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जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाभाग

प्रस्तुतिःअशोक पाण्डेय
श्री जगन्नाथपुरी गोवर्द्धन पीठ के 145वें पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाभाग पिछले लगभग 26 वर्षों से दिव्य व्यासपीठ को सुशोभित कर रहे हैं। वे एकमात्र ऐसे पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य हैं जो अपनी दिव्य मेधाशक्ति के बल पर भारतीय सनातनी परम्परा तथा भारतीय संस्कृति के शाश्वत जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए सद्गुरु, जगन्नाथ और सद्ग्रंथ को ही मान्यता देते हैं। साक्षात भारतीय आध्यात्मिक चेतना के प्राण स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाभाग पिछले लगभग सात दशकों से समस्त सांसारिक सुखों का त्यागकर भारतीय सनातनी शाश्वत आध्यात्मिक परम्पराओं, गंगा, रामसेतु, गोमाता तथा अयोध्या रामजन्मभूमि अभियान के सच्चे संरक्षक तथा मार्गदर्शक बने हुए हैं।उनके दिव्य आध्यात्मिक दृष्टिकोण तथा संदेश विश्व मानवता की रक्षा,एकता,शांति,मैत्री कायम करने के लिए दिव्य आलोक-स्तम्भ के रुप में हजारों वर्षों तक मार्गप्रशस्त करता रहेगा।उनका यह दिव्य संदेश –“ एक सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, समृद्ध, सेवापरायण स्वस्थ व्यक्ति तथा समाज की संरचना में विश्व मेधा-रक्षा-वाणिज्य और श्रमशक्ति का उपयोग एवं विनियोग हो। विश्व को धर्मनियंत्रित, पक्षपातविहीन-सर्वहितप्रद शासन सुलभ कराने में सत्पुरुषों की प्रीति तथा प्रवृत्ति परिलक्षित हो। सेवा और सहानुभूति के नाम पर किसी वर्ग के अस्तित्व और आदर्श को विलुप्त करने के समस्त षडयंत्र विश्वस्तर पर मानवोचित शील की सीमा में जघन्य अपराध उद्घोषित हो। विकास के नाम पर पर्यावरण को विकृत और विलुप्त करनेवाले समस्त प्रकल्प निरस्त हों। स्थावर,जंगम प्राणियों के हितों में पाश्चात जगत विनियुक्त हो। पृथ्वी, पानी, प्रकाश, पवन और आकाश सर्व शांतिप्रद और सुखप्रद हों।“ आगामी 12जुलाई ,2021-रथयात्रा के दिन परम्परानुसार जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाभाग का अपने परिकरों से साथ गोवर्द्धन मठ से आकर श्रीमंदिर के सिंहद्वार के समीप खडे तीनों रथों तालध्वज,देवदलन तथा नंदिघोष रथों की सुव्यवस्था आदि का अवलोकन करना,चतुर्धा देवविग्रहों को अपना आत्मनिवेदन करने की प्रतीक्षा सभी जगन्नाथभक्तों को रहेगी।
अशोक पाण्डेय

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