Header Ad

Categories

  • No categories

Most Viewed

News

“मन को नियंत्रित करें‌ और दिल जो कहे वही काम करें!”

-अशोक पाण्डेय ——————— अपने चंचल मन को मौन साधना के माध्यम से नियंत्रित करें और अपने दिल की करुण भावना

महाभारत एक धर्म युद्ध था जिसमें पाण्डव पक्ष की ओर से निम्न शंख बजाए गए

महाभारत एक धर्म युद्ध था जिसमें पाण्डव पक्ष की ओर से निम्न शंख बजाए गए : पांचजन्य, देवदत्त,पौण्ड्र, अनंतविजय,सुघोष और
जगन्नाथ जी के हैं भारत के चारों धाम :

जगन्नाथ जी के हैं भारत के चारों धाम :

-अशोक पाण्डेय ——————– जब तपस्वियों ने‌ घेरा तो बदरीनाथ कहलाए। जब कपियों ने घेरा तो‌ रामनाथ, रामेश्वरम कहलाए। जब गोपियों
परशुरामजी : राष्ट्र और समाज निर्माण का अवतार

परशुरामजी : राष्ट्र और समाज निर्माण का अवतार

अक्षय तृतीया पर विशेष झूठा है क्षत्रिय विनाश का प्रसंग सृष्टि निर्माण में अवतारों के क्रम में परशुराम जी का
चतुर्धा दारु विग्रह देवगण कलियुग के चारों जीवित वेद हैं जो श्री जगन्नाथ धाम पुरी के श्रीमंदिर के रत्न वेदी पर विराजमान हैं ।

चतुर्धा दारु विग्रह देवगण कलियुग के चारों जीवित वेद हैं जो श्री जगन्नाथ धाम पुरी के श्रीमंदिर के रत्न वेदी पर विराजमान हैं ।

चतुर्धा दारु विग्रह देवगण कलियुग के चारों जीवित वेद हैं जो श्री जगन्नाथ धाम पुरी के श्रीमंदिर के रत्न वेदी

“आलसी न बनें!”

-अशोक पाण्डेय ——————— एक प्रजापालक और न्यायप्रिय राजा था। वह अपना राजकोष अपनी प्रजा के लिए खर्च करता था। अपने
“ज्ञान बांटने के लिए ही होता है।ज्ञान का दान तो ब्रह्मा जी देवता,मानव और दानव को एक साथ ही दिया था लेकिन…”

“ज्ञान बांटने के लिए ही होता है।ज्ञान का दान तो ब्रह्मा जी देवता,मानव और दानव को एक साथ ही दिया था लेकिन…”

-अशोक पाण्डेय ———————– एक समय की बात है। ब्रह्मा जी के पास देवता,मानव और दानव एकसाथ ज्ञान मांगने के लिए

व्यक्ति के कर्म ही उसके भाग्य का निर्धारण करते हैं।

–अशोक पाण्डेय मोह-माया के इस संसार रुपी कर्मस्थली में व्यक्ति का कर्म ही उसके भाग्य का निर्धारण करता है।ब्रह्माजी से
श्रीजगन्नाथ धाम पुरी में देवस्नानपूर्णिमा  आगामी 12जून को

श्रीजगन्नाथ धाम पुरी में देवस्नानपूर्णिमा आगामी 12जून को

-अशोक पाण्डेय. श्रीजगन्नाथ धाम पुरी में 2025 की देवस्नानपूर्णिमा आगामी 12जून,ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को है।

जय गुरुदेव!जय जगन्नाथ!जय परशुराम!

“युद्ध कभी व्यक्ति अथवा समुदाय नहीं लड़ता है। कोई देश नहीं लड़ता है अपितु दो स्वार्थ लड़ते हैं। मान्यवर, स्वार्थी

Forgot Password