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भाषण देते समय सबसे पहले ‘आप’ का ही प्रयोग करें! ‘मैं’ का प्रयोग बहुत कम करें!

-अशोक पाण्डेय —————— ‘गीता’ में वक्ता हैं शांतिदूत श्रीकृष्ण और श्रोता हैं अर्जुन। दोनों के वार्तालाप को अगर ध्यान से

एक परिवार को आनंदमय तरीके से चलाने के लिए पांच शीलों

एक परिवार को आनंदमय तरीके से चलाने के लिए पांच शीलों : संस्कार, सहकारिता,आपसी सहमति, प्रगतिशीलता और एक -दूसरे पर

आज देश को कर्मवीरों की जरूरत है

“आज देश को कर्मवीरों की जरूरत है,आलोचकों की नहीं।आज देश को शक्ति बोध और सौंदर्य बोध वालों की जरूरत है।

कल किसने देखा है?

-अशोक पाण्डेय ——————– कल किसी ने भी नहीं देखा है।राजा-रंक सभी को आज और अभी में ही जीना होता है।

“माया का मोहक कानन:यह सृष्टि”

-अशोक पाण्डेय ———————– यह सृष्टि माया का मोहक नंदन कानन है।यह एक ऐसा खुबसूरत जंगल है जहां पर रज,तम और

“प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी क्षेत्र में अव्वल अवश्य होता है।”

-अशोक पाण्डेय ———————- जगत के नाथ की लीला अपरम्पार है।”गज़ब रचा खिलौना माटी का!” राजा-रंक, पण्डित- पुजारी, ज्ञानी -अज्ञानी,साधु -चोर,व्यापारी

“अपने आप ही महापण्डित और महाज्ञानी न बनें!”

-अशोक पाण्डेय ——————— ‘ज्ञान’ तो मां सरस्वती का वरदान है जिसको सबसे पहले ग्रहण किया था आदिकवि वाल्मीकि ने। सद्गुरूओं

“आप क्या बनकर जीना चाहेंगे: एक किसान या एक जमींदार? “

-अशोक पाण्डेय ——————— एक किसान और एक जमींदार में मूल अंतर यह है कि किसान इस सृष्टि का ब्रह्मा, विष्णु

शत्रु और मित्र कौन?

-अशोक पाण्डेय ———————- शाश्वत सत्य बात शत्रु और मित्र के विषय में यह है कि हमारा अहंकार ही हमारा सबसे
पहलगाम आतंकी हमले में शहीदों के प्रति संवेदना हेतु मायुमंच भुवनेश्वर की ओर से आयोजित हुआ सामूहिक  दीप प्रज्ज्वलन

पहलगाम आतंकी हमले में शहीदों के प्रति संवेदना हेतु मायुमंच भुवनेश्वर की ओर से आयोजित हुआ सामूहिक दीप प्रज्ज्वलन

भुवनेश्वरः25 अप्रैलःअशोक पाण्डेयः मारवाड़ी युवामंच भुवनेश्वर की नव निर्वाचित अध्यक्षा गीतांजलि केजरीवाल के कुशल नेतृत्व में गत दिन शाम में

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